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भाजपा विधायक श्याम प्रकाश के 1 लेटर ने खोल दी स्वास्थ्य महकमे की पोल

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हरदोई।जहां पूरा देश कोरोना की भयंकर महामारी से जूझ रहा है।वही जिम्मेदार विभागों के द्वारा अपनी जिम्मेदारी इमानदारी से निर्वहन न करना यह शिकायतें गाहे-बगाहे आम जनमानस तो किया ही करता है।क्योंकि सरकारी योजनाओं का उचित लाभ आम जनमानस से वैसे भी कोसों दूर है।यह कहने की जरूरत नहीं है।सरकार से लेकर प्रशासन में उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी बखूबी जानते हैं।आपको बताते चलें हरदोई जनपद के गोपामऊ से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश वैसे तो अपनी ही सरकार व प्रशासन के खिलाफ बयान बाजी में अब्बल दर्जे पर आते हैं।आए दिन किसी न किसी मसले पर सरकार व प्रशासन को खरी-खोटी सोशल मीडिया के माध्यम से सुनाते रहते हैं। लेकिन महामारी के बीच अपनी विधायक निधि से गोपामऊ विधानसभा की जनता के लिए सैनिटाइजर मास्क स्वास्थ्य संबंधित जरूरी सामग्री खरीदने व समय पर क्षेत्र की जनता को मुहैया कराने को लेकर अपनी विधायक निधि से 2500000 रुपए देते हुए जिला प्रशासन से गुजारिश की थी हर हाल में गोपामऊ विधानसभा क्षेत्र की जनता को तत्काल प्रभाव से जरूरी आवश्यक सामग्री मुहैया कराई जाए। स्वास्थ्य महकमा है कि जिसके दबाव में जिला प्रशासन ही नहीं सरकारें भी आ जाती हैं।अपनी जिम्मेदारियों से भागना स्वास्थ्य महकमे के शौख में शामिल है।इस संबंध में समय रहते स्वास्थ्य महकमे के द्वारा उचित कार्यवाही होते ना देख विधायक श्याम प्रकाश ने पुनः एक पत्र लिखकर जिला प्रशासन से विधायक निधि में दी गई धनराशि को वापस करने की मांग कर डाली जाहिर सी बात है। सामूहिक चर्चा होना तो एक स्वाभाविक बात थी ।वहीं विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का एक हथियार भी दे दिया अब देखना यह होगा प्रशासन व विधायक के बीच लेटर बम के परिणाम क्या होंगे लेकिन विपक्षी दल के ज्यादातर जिम्मेदार नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं। और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।कि जब आपके ही विधायक ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठा दिए हैं। तो फिर सरकार की तैयारियां क्या है कैसे निपटेगें वायरस से सरकार से हालांकि इस प्रकरण पर प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है लेकिन सरकार की मंशा पर हरदोई का जिला प्रशासन कितना गंभीर है यह तो विधायक श्याम प्रकाश के एक पत्र ने साबित कर दिया वहीं विधायक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप स्वास्थ्य महकमे के लिए कोई नई बात नहीं है स्वास्थ्य महकमा पहले से ही सवालों के घेरे में रहा है स्वास्थ्य महकमे में भ्रष्टाचार पहले से ही चरम पर है जिला प्रशासन व सरकारें चाह कर भी इस भ्रष्टाचार को इसलिए भी रोक पाने में कामयाब नहीं होती क्योंकि डॉक्टरों की संख्या कम होने के चलते उनकी हड़ताल की धमकियां कहीं-कहीं सरकार व जिला प्रशासन को बैकफुट पर ले जाती हैं और तब शुरू होता है आम जनमानस से धन उगाही का कारनामा देखना यह होगा कि सरकार या जिला प्रशासन के द्वारा इस ओर क्या कार्रवाई की जाती है

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