उत्तर प्रदेश

देश को प्रधानमंत्री देने में आगे है पूर्वांचल, जानिए में यहां क्यों जोर लगा रही है बीजेपी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गोरखपुर जाएंगे. दिसंबर पर यह उनकी पहली उत्तर प्रदेश यात्रा है. इससे पहले नवंबर में उन्होंने 3 बार उत्तर प्रदेश की यात्रा की थी. इस महीने उनका अभी कई बार उत्तर प्रदेश जाने का कार्यक्रम है. प्रधानमंत्री की अधिकांश यात्राएं पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही हुई हैं. प्रधानमंत्री पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं की सौगात दे चुके हैं. इसमें लखनऊ को गाजीपुर से जोड़ने वाला पूर्वांचल एक्सप्रेस वे प्रमुख है. यह दिखाता है कि पूर्वांचल केंद्र और प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं कि बीजेपी पूर्वांचल में इतना जोर क्यों लगा रही है और क्या है पूर्वांचल का सियासी समीकरण कैसा है.

पूर्वांचल की राजनीति

उत्तर प्रदेश के इस पूर्वी इलाके ने देश को अबतक 5 प्रधानमंत्री दिए हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का संबंध भी पूर्वांचल से ही था. उनके अलावा लालबहादुर शास्त्री, वीपी सिंह और चंद्रशेखर भी पूर्वांचल से ही आते थे. वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनवा क्षेत्र वाराणसी भी पूर्वांचल में ही आता है. यह भी एक संयोग है कि इस समय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ही पूर्वांचल से आते हैं. 

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उत्तर प्रदेश के इस इलाके में कुल 21 जिले आते हैं. इन जिलों में विधानसभा की 130 सीटें हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक पूर्वांचल में उत्तर प्रदेश की 6 करोड़ 37 लाख जनता रहती है. यह प्रदेश की कुल आबादी का करीब 32 फीसदी है. 

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. इनमें से 26 सीटें पूर्वांचल में हैं. अगर हम 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इनमें से 19 सीटें बीजेपी, 2 सीटें उसकी सहयोगी अपना दल, 4 सीटें बसपा और 1 सीट कांग्रेस ने जीती थीं. वहीं इससे पहले 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 23 सीटें जीत ली थीं. अपना दल को 2 और 1 सीट सपा को मिली थी. इससे उलट 2009 के चुनाव में बीजेपी को इसमें से केवल 4 सीटें मिली थीं. वहीं सपा-बसपा ने 9-9 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के हिस्से में 4 सीटें आई थीं. 

विधानसभा की 1 तिहाई से अधिक सीटें हैं पूर्वांचल में

इसी तरह अगर हम पूर्वांचल की 130 विधानसभा सीटों की बात करें तो 2017 के चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 87 सीटों पर अपनी विजय पताका लहराई थी. अपना दल को 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4 सीटें मिली थीं. इस तरह पूर्वांचल में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 100 सीटें जीतने में सफल रहा था.  वहीं बसपा को 10, अन्य को 1 और 3 सीट निर्दलियों ने जीती थीं. 

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वहीं 2012 के चुनाव में सपा ने 130 में से 71 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. वहीं बसपा को 24, बीजेपी को 14 सीटें मिली थीं. कांग्रेस ने 10 सीटें जीती थीं. 5 सीटें निर्दलीय, 2 सीट पीस पार्टी, 2 सीट कौमी एकता दल, 1 सीट एनसीपी और 1 सीट अपना दल के खाते में गई थी.

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