उत्तर प्रदेश

उत्तराखंड में सेना से जुड़े परिवारों को क्यों लुभा रही हैं पार्टियां, कितना वोट है?

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उत्तराखंड में शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसका सेना या अर्धसैनिक बलों से नाता न हो. इसलिए उत्तराखंड की राजनीति करने वाली हर पार्टी सैन्य परिवारों को अपनी तरफ करने में जुटी रहती है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस भी यही कोशिश करती नजर आ रही हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जहां 15 दिसंबर को देहरादून के पास सैन्य धाम की आधारशिला रखेंगे, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 16 दिसंबर को देहरादून में कांग्रेस की सैनिक सम्मान रैली को संबोधित करेंगे. 

कितना है सैन्य परिवारों का वोट

माना जाता है कि उत्तराखंड में सेना या अर्धसैनिक बलों के जवानों के परिवार का वोट करीब 12 फीसदी है. एक अनुमान के मुताबिक सेना का हर पांचवां जवान उत्तराखंड से है. यह किसी राज्य के लिए बड़ा वोट बैंक होता है. ये मतदाता किसी भी पार्टी की किस्मत पलटने का माद्दा रखते हैं. इसलिए उत्तराखंड की हर पार्टी सैन्य परिवारों को अपनी ओर करने की कोशिश में लगी रहती है. बीजेपी और कांग्रेस भी इन कोशिशों में जुटी हुई हैं. 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को देहरादून के पास बनने वाले सैन्य धाम की आधारशिला रखेंगे. इस अवसर पर वह 204 शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने सैन्य धाम के प्रवेश द्वार का नाम जनरल बिपिन रावत के नाम पर करने का फैसला किया है. जनरल रावत का बीते बुधवार को तमिलनाडु में हुए एक हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था. देहरादून के पास बनने वाले सैन्य धाम को उत्तराखंड के चार धामों के बाद पांचवे धाम के रूप में विकसित किया जाएगा. यह परिसर करीब 50 बीघे जमीन पर बनाया जाएगा. 

सैन्य धाम के लिए राज्य के 1734 शहीदों के आंगन से मिट्टी लाई गई है. शहीदों के घर के आंगन से मिट्टी लाने के लिए 15 नवंबर से राज्य के जिलों और ब्लॉकों में शहीद सम्मान यात्रा निकाली गई. इन यात्राओं का समापन भी आज ही होगा. उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. इस आयोजन को बीजेपी की सैनिकों और पूर्व सैनिकों के परिवारों को अपनी ओर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. इसी वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी ने रक्षा राज्य मंत्री का पद उत्तराखंड से आने वाले अजय भट्ट को सौंपा है. खास बात यह है कि इस सैन्य धाम का एक शिलान्यास इस साल जनवरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी किया था. 

कांग्रेस कैसे कर रही है कोशिश

कांग्रेस नेता राहुल गांधी 16 दिसंबर को देहरादून के परेड मैदान में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इसे सैनिक सम्मान रैली का नाम दिया गया है. इसमें राहुल गांधी 1971 के युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैनिकों को सम्मानित करेंगे. इसे भी सैनिकों और उनके परिवार को रिझाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस नेता प्रचार में भी कांग्रेस की सरकारों में सैनिकों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दे रहे हैं. वो बीजेपी सरकार की खामियां भी गिना रहे हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां तक कहा है कि उनकी पार्टी जीत की संभावनाओं वाले 20 पूर्व सैनिकों को टिकट देने पर विचार करेगी. कांग्रेस नेता सैनिकों और पूर्व सैनिकों के गांवों में जाकर उनके परिजनों का सम्मान कर रहे हैं. 

वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड की राजनीति में इंट्री कर रही आम आदमी पार्टी ने तो मुख्यमंत्री पद का चेहरा ही एक पूर्व सैनिक को बना दिया है. आप ने रिटायर कर्नल अजय कोठियाल को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है. हालांकि आप इसके अलावा मुफ्त बिजली के नाम पर भी उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रही है. अब तो यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि किसी पार्टी की कोशिश को सैनिकों और पूर्व सैनिकों का परिवार पसंद करता है और उसे वोट देता है. 



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