उत्तर प्रदेश

पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे गंगा एक्सप्रेसवे का शिलान्यास, यहां लिजिए इससे जुड़ी सभी जानकारियां

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास करने वाले हैं. शिलान्यास कार्यक्रम शाहजहांपुर में आयोजित किया जाएगा. मेरठ से प्रयागराज तक जाने वाले इस एक्सप्रेस वे की लंबाई 594 किलोमीटर होगी. इसके निर्माण पर 36 हजार 200 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. बन जाने के बाद यह देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले 16 नवंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ के बिहार सीमा से सटे गाजीपुर को जोड़ने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण किया था. आइए जानते हैं गंगा एक्सप्रेस वे की खूबियों के बारे में.

कहां से शुरू कहां खतम

गंगा एक्सप्रेस वे मेरठ-बुलंदशहर मार्ग (NH 334) पर स्थति मेरठ जिले के बिजौली गांव से शुरू होगा. यह प्रयागराज जिले के जुडापुर दान्दू गांव में एनएच-19 पर बने बाईपास के पास खत्म होगा. गंगा एक्सप्रेस वे करीब 594 किमी लंबा होगा. इसे 6 लेन का बनाया जाएगा. जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाकर 8 लेन तक का किया जा सकेगा. गंगा एक्सप्रेस वे पर गाड़ियां 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसानी से फर्राटा भर सकेंगी. मुख्य सड़क के साथ-साथ 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी बनेगी. इस परियोजना में करीब 140 नदियां, धाराएं, नहर और नाले आएंगे. आपातकालीन स्थितियों में विमानों की लैडिंग के लिए शाहजहांपुर में 3.5 किमी लंबी हवाई पट्टी भी बनेगी. 

गंगा एक्सप्रेस वे पर मेरठ और प्रयागराज में 2 मुख्य टोल प्लाजा होंगे. इसके अलावा इस एक्सप्रेस वे पर 15 रैंप टोल प्लाजा भी बनाए जाएंगे. यह यूपी का सबसे लंबा और देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा.

कहाँ-कहाँ से गुज़रेगा? 

यह एक्सप्रेस वे प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों को पूर्वी क्षेत्रों से जोड़ेगा. यह प्रदेश के 12 जिलों- मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा. मेरठ से प्रयागराज तक इस एक्सप्रेस वे से कुल 519 गांव जुड़ेंगे. इसके बन जाने के बाद लखनऊ से मेरठ की दूरी 5 घंटे रह जाएगी. वहीं इस एक्सप्रेस वे से मेरठ से प्रयागराज तक का सफर करीब 7 घंटे में पूरा होगा. अभी इसमें करीब 12 घंटे का समय लगता है.

गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण पर 36 हजार 200 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. इस एक्सप्रेस वे के लिए जरूरू 94 फीसदी जमीन खरीदी जा चुकी हैं. 
इस एक्सप्रेस वे पर 7 रोड ओवर ब्रिज, 17 इंटरचेंज, 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल, 28 फ्लाईओवर, गाड़ियों के लिए 50 अंडरपास, छोटी गाड़ियों के लिए 171 अंडरपास, मीडियम आकार की गाड़ियों के लिए 160 अंडरपास और 946 छोटी पुलियों का निर्माण किया जाएगा.

गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के दौरान करीब 12 हजार लोगों को अस्थायी रोजगार मिलने का अनुमान है. वहीं टोल प्लाजा निर्माण पर करीब 100 व्यक्तियों को स्थायी रोजगार मिलेगा.

मायावती ने बनाई थी परियोजना

गंगा एक्सप्रेस वे की परिकल्पना 2007 में मायावती की सरकार में की गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 15 जनवरी 2008 को अपने जन्मदिन पर इस परियोजना का शिलान्यास किया था. मायावती सरकार ने इस परियोजना की लंबाई 1050 किमी तय की थी. पहले गंगा एक्सप्रेस वे को नोएडा से बलिया तक बनाया जाना था. उस समय परियोजना की लागत 40 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी. उस समय पीपीपी के आधार परियोजना के लिए 18 डेवलपर्स ने रुचि दिखाई थी. मायावती सरकार ने एक्सप्रेस वे के निर्माण का जिम्मा जेपी समूह को सौंपा था. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश और पर्यावरण संबंधी दिक्कतों की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया. 

इस समय उत्तर प्रदेश में 4 एक्सप्रेस वे हैं. इसमें से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 340.82 किमी लंबा है. वहीं आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे 302.22 किमी, यमुना एक्सप्रेस वे 165.53 किमी और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे 296 किमी लंबा है. अभी बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर काम चल रहा है. 

इन एक्सप्रेस वे में से 3 पर इमरजेंसी में विमानों को उतारने के लिए एयर स्ट्रिप बनाई गई हैं. इनमें से यमुना एक्सप्रेस वे पर मथुरा के पास, आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर बांगरमऊ के पास और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर सुल्तानपुर के पास एयर स्ट्रिप बनाई गई है. पूर्वांचल एक्सप्रेस का लोकार्पण करने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गए थे, तो उनका विमान इसी एयर स्ट्रिप पर उतरा था. 



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