उत्तर प्रदेश

गोरखपुर की पूजा प्रजापति चलाएंगी इको-फ्रेंडली बस, भारी वाहनों को चलाने में हैं माहिर

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UP News: ‘पढ़ेंगी बेटियां, बढ़ेंगी बेटियां’ के संदेश को आत्‍मसात कर आज लोग अपनी लाड़लियों को भी डॉक्‍टर-इंजीनियर और सिविल सर्विसेज में भेजने का सपना देखते हैं. बेटियां भी माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करती हैं. लेकिन कुछ अलग करने की जिजीविषा के चलते कुछ बेटियां माता-पिता और परिवार के सपोर्ट से समाज की चिंता छोड़कर मिसाल बन जाती हैं. गोरखपुर की रहने वाली 23 साल की पूजा ने भी ‘स्टिक’ से ‘स्‍टीयरिंग गर्ल’ बनकर समाज और युवाओं के सामने मिसाल पेश की है. वे 12 साल की उम्र से ट्रक, बस, ट्रैंकर और अन्‍य भारी वाहनों को फोरलेन, सिक्‍सलेन से लेकर पहाड़ों  पर दौड़ाती  हैं.

यूपी की इकलौती ई-बस चालक हैं पूजा प्रजापति

गोरखपुर के खोराबार के डिभिया गांव की रहने वाली 23 साल की ‘स्‍टीयरिंग गर्ल’ पूजा प्रजापति ने जब 7 दिसंबर को ट्रायल में टाउनहाल के नगर निगम से बरगदवां तक इको-फ्रेंडली इलेक्ट्रिक बस दौड़ाई, तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली. वे यूपी की इकलौती ई-बस चालक हैं. गोरखपुर के महापौर सीताराम जायसवाल भी पूजा की तारीफ करते नहीं थकते हैं. बता दें कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ जल्‍द ही गोरखपुर में छह इको-फ्रेंडली सिटी बसों को हरी झंडी दिखाएंगे. वे इसमें सफर भी करेंगे. वहीं पूजा कहती हैं कि इस पल का उन्‍हें और उनके परिवार को बेसब्री से इंतजार है. एनएसएस की ओर से रिपब्लिक डे परेड में प्रतिभाग कर चुकी पूजा की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा केन्‍द्रीय विद्यालय में हुई है. वे शहर के चन्‍द्रकां‍ति रमावती देवी आर्य महिला स्‍नातकोत्‍तर महाविद्यालय से राजनीतिशास्‍त्र विषय में एमए कर रही हैं. वे एनसीसी में ‘सी’ सर्टिफिकेट होल्‍डर भी हैं.
Gorakhpur News: 'स्टिक’ से ‘स्‍टीयरिंग गर्ल’ बनीं गोरखपुर की पूजा प्रजापति, अब इको-फ्रेंडली बस चलाकर बनेंगी ‘रोल मॉडल’

खेलने-कूदने की उम्र में ही पूजा ने संभाल ली थी ट्रकों की स्टेयरिंग
68 वर्षीय बेचन प्रसाद प्रजापति पूजा प्रजापति के पिता हैं. वे  ट्रांसपोर्टर हैं. गोरखपुर के सहजनवां में उनकी आईओसी की एजेंसी और पेट्रोल पंप भी है. एनसीआर में उनका विदेशी वाहनों का वर्कशॉप भी है. उनका भरा-पूरा परिवार है. उनके दो बेटे और दो बेटियों की शादी हो चुकी है. पूजा प्रजापति परिवार में सबसे छोटी होने की वजह से माता-पिता और भाई-भाभी की दुलारी हैं. उनके प्‍यार ने पूजा को उन ल‍ड़कियों में शुमार नहीं होने दिया, जो परिवार और समाज के लोगों की चिंता कर कुछ करने के पहले ही अपने कदम पीछे खींच लेती हैं. पूजा इसमें अपवाद हैं. वे बस, ट्रक, टैंकर, पोकलैंड और हैवी वाहनों को फर्राटे के साथ सड़क से लेकर पहाड़ों तक पर दौड़ाती हैं. खेलने-कूदने की उम्र में पूजा ने पिता बेचन प्रसाद से प्रेरणा लेकर ट्रकों की स्‍टेयरिंग थाम ली. फाइटर प्‍लेन और ट्रेन के अलावा सभी वाहनों को चलाने का हुनर उनके पास है. पूजा का जोश और जज्‍बा देखकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे.

हॉकी की नेशनल प्‍लेयर भी हैं पूजा
हॉकी की नेशनल प्‍लेयर पूजा तीन बार महाराष्ट्र और गुजरात में हुई प्रतियोगिताओं में यूपी का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. तैराकी और गोल्‍फ खेलना भी उनका शौक है. उनकी उम्र महज 23 साल है, लेकिन पदक और ट्रॉफियों की लम्‍बी फेहरिस्‍त देखकर ही इनकी प्रतिभा का अंदाजा लगाया जा सकता है. पूजा अब सीएम सिटी में ईको-फ्रेंडली ई-बस दौड़ाकर बेटियों के लिए रोल मॉडल बनने जा रही हैं. नोएडा में ट्रकों की रेस लगा चुकी पूजा लड़कियों के लिए ड्राइविंग एकेडमी स्थापित करना चाहती हैं. वे कहती हैं कि मुख्‍यमंत्री से मिलेंगी, तो इसके लिए सहयोग मांगेंगी. इसके साथ ही वे रेलवे में नौकरी करना भी चाहती हैं. बचपन से मेधावी पूजा ने जब ट्रक की स्टीयरिंग थामी तो परिवार का सपोर्ट मिला. आसपड़ोस के लोगों को उनका ये शौक रास नहीं आया, लेकिन लोगों की चिंता छोड़कर वे आगे बढ़ती गईं. उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जो लोग उनकी बुराई करते थे, आज वे भी उनकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते हैं.

पूजा नगर निगम के स्‍वच्‍छता मिशन की ब्रांड एंबेसडर हैं
पूजा नगर निगम के स्‍वच्‍छता मिशन की ब्रांड एंबेसडर हैं. पूजा बताती हैं कि उन्‍हें पापा का पूरा सपोर्ट मिला. वे कहती हैं कि हमेशा यह इच्छा रही कि वह काम करूं, जो उनकी उम्र की ऐसी लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बनें, जो काम को छोटा-बड़ा समझकर उसे करने में संकोच करती हैं. इसी जिद में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सहयोग से उन्‍होंने वर्ष 2015 में भारी वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया. नोएडा में टाटा द्वारा आयोजित भारी वाहनों के रेस में प्रतिभाग किया. वे इलेक्ट्रिक बस ये संदेश देने के लिए चला रही हैं कि लड़कियों के लिए कोई काम नामुमकिन नहीं है.

स्टिक’ से ‘स्‍टीयरिंग गर्ल’ के नाम से हैं फेमस 
सम्‍पन्‍न परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद भी पूजा ने कुछ अलग करने की चाह में बस की ‘स्‍टीयरिंग’ को थामा. यही वजह है कि गोरखपुर ही नहीं आसपास के जिलों में वे ‘स्टिक’ से ‘स्‍टीयरिंग गर्ल’ के नाम से पहचान बना रही हैं. 7 दिसंबर को ईलेक्ट्रिक बस के नगर निगम से निकले छह बसों के ट्रायल में एक बस की स्‍टेयरिंग संभालने वाली पूजा के जज्‍बे को देखकर सभी हैरत में पड़ गए. बेचन प्रसाद प्रजापति कहते हैं कि जब भी देश और सेना को हैवी वाहन चलाने के चैलेंज को स्‍वीकार करने वाली बेटियों की जरूरत होगी, तो वे देश सेवा के लिए पूजा को भेजने से पीछे नहीं हटेंगे.

मां ने सिखाया कोई काम असंभव नहीं है

 पूजा की मां सोनमती देवी के साथ दो अन्य बहनें भी बरसों से चार पहिया वाहन चलाना जानती हैं. उनके भाई शिवशंकर और भाभियां प्रीती-पूजा भी कार चलाती हैं. परिवार में गाड़ी होने के चलते किसी को ड्राइविंग सीखने में दिक्कत भी नहीं हुई. पूजा बताती हैं कि मां ने हमेशा बताया कि कोई काम असंभव नहीं है. जो लीक से हटकर काम करता है, वही जिंदगी मे सफल होता है. पूजा बताती है कि ‘2016 में नोएडा में ट्रकों की रेस में भाग लेने गई तो लोग हंस रहे थे. पिता ने सपोर्ट किया और उनके जोश और जूनून ने उन्‍हें हौसला देकर आज यहां तक पहुंचा दिया. वे कहती हैं कि उन्‍हें बस चालक कहने की बजाय ‘स्‍टेयरिंग गर्ल’ कहा जाना खूब अच्‍छा लगता है. इससे युवा लड़कियों में भी अच्‍छा संदेश जा रहा है. इससे महिलाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

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