[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
लखनऊ 12 फरवरी। यूपी के एक पूर्व डीआईजी के दबाव में एक महिला और उसके बेटे पर अकारण प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। यह आरोप विकास रावत नाम के एक कारोबारी ने लगाया है। विकास लक्ष्य मर्केंडाइज प्रा. लि. के पूर्व डायरेक्टर थे। वर्ष 2014 में इस कंपनी से इस्तीफा भी दे चुके थे। पीडित ने आखिरकार थक हार कर इस मामले में न्याय की गुहार आज पत्रकार वार्ता में की।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में लक्ष्य मर्केंडाइज प्रा.लि. कंपनी जो कि रेस्टोरेंट के फ्रेंचाइजी बिजनेस ‘हनीकॅाम्ब‘ के नाम से प्रचारित रही, विकास रावत द्वारा बनायी गयी थी। कंपनी ने विस्तार के लिए उनके साथ कुल छह डायरेक्टर नियुक्त किए। नये डायरेक्टर ने साठ फीसदी षेयर के लिए दस करोड़ की फंडिंग की। कंपनी के नियुक्त डायरेक्टरों के द्वारा गलत नीतियों के चलते स्वयं विकास रावत नें 13 अक्तूबर 2014 को कंपनी से रिजाइन कर दिया। कंपनी गुजरात में रजिस्टर्ड थी, लिहाजा आरोपी चारों डायरेक्टरों के खिलाफ विकास ने धोखाधडी का मुकदमा दर्ज करा दिया है। मामला गुजरात की कोर्ट में लंबित है। लखनऊ कें एक फ्र्रेंचाइजी आशीश प्रियदर्शी पु़त्र श्री रामस्वरूप प्रियदशी ने गोमतीनगर लखनऊ गोमतीनगर स्थित आइनॉक्स बिगबाजार में शांभवी फूड बेवरेज प्रा.लि. के नाम से ले रखी थी। और तय फ्र्रेंचाइजी फीस के बदले में प्रतिमाह 50 हजार की मासिक आय दिसम्बर 2014 तक मिल रही थी। जबकि विकास 13 अक्टूबर 2014 को विकास इस कंपनी से इस्तीफा दे चुके थे। दिसम्बर 2014 तक तय राशि पचास हजार रुपये इसे प्रतिमाह दिया जाता रहा। बावजूद श्री राम प्रियदर्षी पूर्व डीआईजी के दबाव में विकास रावत और उनकी दो सहयोगी सेल्सगर्ल्स रितु और रुचि श्रीवास्तव के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। यही मुकदमा विकास की माता के नाम पर भी जबरदस्ती थोप दिया गया। विकास जून 2008 से ही गुजरात में ही हैं। लखनऊ आना जाना जरूर होता था। उनकी मां का कंपनी से कोई लेना देना नहीं होने के बाद भी स्थानीय पुलिस उनके घर जाकर लाखों में पैसे की मांग करती और मुकदमे थोपकर जेल भेजने की धमकी देती। विकास भी कंपनी छोड़कर परेषान था, लिहाजा मां की पैरवी नहीं कर पाया। विकास का कहना है कि लक्ष्य मर्केंडाइज के एग्रीमेंट में यह शामिल है किसी भी विवाद पर केवल आर्बीटेषन ही विकल्प है अन्य कोई नहीं। इसके बावजूद इस पूरे सिविल मैटर को क्रिमिनल बनाकर उन्हें व उनकी मां को तरह-तरह से धमकाया जाता रहा। वह तमाम धमकियों से उत्पीड़ित हैं। विकास ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जानकारी 10 जून 2015 को मुख्यमंत्री, डीजीपी, एडीजी, आईजी, एसपी आफिस पंजीकृत डाक से देकर न्याय की गुहार की गई किन्तु, आजतक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई, न किसी तरह का कोई सहयोग हमें मिला। मानसिक प्रताड़ना झेल रही मां की स्थिति बेटे से देखी नहीं जाती। अक्सर अवसाद में चली जाती हैं। इसलिए अनावश्याक परेशान और उतपीड़न करने के लिए पूर्व डीआईजी के खिलाफ शासन-प्रशासन के खिलाफ न्याय की गुहार करते हैं। मित्र पुलिस का ऐसा चेहरा बर्दाश्त से बाहर है। इस मुकदमे से अनचाहे बदले की भावना से फर्जी में जबर्दस्ती में दर्ज किया मेरी मां विजय रावत का नाम लखनऊ पुलिस खारिज करे ताकि न्याय मिल सके और सत्य की विजय हो।