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Exclusive: यूक्रेन बॉर्डर से सटे बेलगोरोड में रूस ने की पुख्ता तैयारियां

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Russia Ukraine War: यूक्रेन युद्ध को पूरा एक महीना हो चुका है. पूरी दुनिया युद्ध की तरफ टकटकी लगाए देख रही है कि कब रुस और यूक्रेन के बीच जंग बंद होगी, लेकिन इस बीच एबीपी न्यूज की टीम यूक्रेन सीमा से सटे रुस के आखिरी बड़े शहर बेलगोरोड पहुंची है. बेलगोरोड सीमा से यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव की दूरी मात्र 40 किलोमीटर है.

बेलगोरोड में रूस ने की पुख्ता तैयारियां

एबीपी न्यूज की टीम जब बेलगोरोड शहर में दाखिल हुई तो बाहर ही टीम को हथियार, टैंक, तोप, रॉकेट लॉन्चर, फाइटर जेट, बंकर और ट्रैंच यानि खंदक दिखाई पड़े. दरअसल, ये बंकर और ट्रैंच द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रुसी सेना ने हिटलर की नाजी सेना के खिलाफ बनाए थे. यहां पर 1943 में खुर्स्क की एक प्रसिद्ध लड़ाई लड़ी गई थी. ये सभी हथियार और मिलिट्री बाइक और गाड़ियां उसी वक्त की हैं. अब इस जगह को एक बड़े वॉर मेमोरियल और ओपन म्यूजयिम मे तब्दील कर दिया गया है. इसी खुर्स्क क्षेत्र से इनदिनों भारतीय मूल के अभय सिंह रुसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की राजनैतिक पार्टी से स्थानीय एमएलए हैं.

बता दें कि एबीपी न्यूज पहला ऐसा न्यूज चैनल है, जो यूक्रेन सीमा से बेलगोरोड शहर पहुंचा है. मास्को से बेलगोरोड करीब 700 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पर हाईवे के रास्ते पहुंचने में करीब 10 घंटे लगते हैं. प्रेस-वीजा और रुस के  विदेश मंत्रालय ये खास ‘एक्रिडेशन’ लेकर एबीपी न्यूज की टीम यूक्रेन सीमा तक पहुंची है. रास्ते में जगह जगह पुलिस और सेना ने हमारी गाड़ी को रोककर पूछताछ की और तसल्ली होने के बाद ही हमें यूक्रेन सीमा की तरफ बढ़ने दिया.

प्रेस कानून के विरोध के बीच रूस पहुंचा एबीपी न्यूज़

एबीपी न्यूज की टीम पहले मास्को पहुंची थी और बुधवार को रेड स्कॉवयर और क्रेमलिन यानि रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आधिकारिक पैलेस और ऑफिस से रिपोर्टिंग करने के बाद बेलगोरोड की तरफ पहुंची थी. एबीपी न्यूज की टीम कवरेज के लिए ऐसे समय में रुस पहुंची है, जब यूक्रेन में पैदा हुए हालात और रुस के फर्जी खबर के खिलाफ आए नए प्रेस कानून के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया हाउस और न्यूज एजेंसिया मास्को सहित रुस को ही छोड़कर जा चुकी हैं.

रुस का ये बेलगोरोड बॉर्डर यूक्रेन के खारकीव के साथ साथ सुमी इलाके से भी सटा है. गौरतलब है कि युद्ध (रुस के ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’) के दौरान खारकीव और सुमी में जब भारतीय छात्र फंसे हुए थे तब रुस ने इसी बेलगोरोड शहर में 130 बसें तैयार कर रखी थी ताकि वहां से अगर ये छात्र रुस की सीमा से निकलने चाहें तो उन्हे कोई दिक्कत ना हो‌. उन छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत के आग्रह पर रुस और यूक्रेन सीजफायर के लिए तैयार हो गए थे. हालांकि, बाद में सभी छात्र यूक्रेन के पश्चिमी बॉर्डर से होते हुए पौलेंड इत्यादि यूरोप के दूसरे देशों से निकले थे.

बमबारी का शिकार हुआ रुस का एक सीमावर्ती गांव

जैसे ही हम शहर में पहुंचे तो अंधेरा छाने लगा था. स्थानीय जानकारों ने बताया कि इस वक्त यूक्रेन सीमा की तरफ जाना खतरे से खाली नहीं है. बेलगोरोड से करीब 40 किलोमीटर दूर यूक्रेन सीमा पर रुस के दो बॉर्डर चैकपोस्ट हैं. पहला है नेखोटेयेवोका और दूसरा है सुडझा. जानकारी मिली कि एक दिन पहले ही यूक्रेन की तरफ से हुई बमबारी में रुस का एक सीमावर्ती गांव आ गया था. जिसके कारण इस गांव को अब खाली कर दिया गया है और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. कुछ लोग घायल भी हुए हैं जिन्हे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

इन्ही नेखोटेयेवोका और सुडझा चैकपोस्ट से यूक्रेन से करीब सात हजार शरणार्थी बेलगोरोड शहर में शरण लेने के लिए पहुंचे हैं. इनके लिए रुस की सरकार ने एक शरणार्थी कैंप यानि शिविर भी लगाया है. शुक्रवार को एक बार फिर एबीपी न्यूज की टीम स्थानीय प्रशासन की मदद से बॉर्डर चैकपोस्ट और बमबारी की चपेट में आए गांव की तरफ बढ़ने की कोशिश करेगी.

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