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जंग में चेहरा पहचानने की तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है यूक्रेन, ये है वजह

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रूस और यूक्रेन के बीच 30वें दिन भी जंग जारी है. इस जंग में भारी संख्या में लोग हताहत हुए हैं. वहीं हजारों की संख्या में दोनों देशों के सैनिक भी मारे गए हैं. इस बीच यूक्रेन मारे गए रूसी सैनिकों की पहचान के लिए यूक्रेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक विशेषज्ञों ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन अपनी धरती पर मारे गए हमलावर रूसी सैनिकों की पहचान करने के लिए चेहरा पहचानने की तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि ये थोड़ा जटिल जरूर है लेकिन इसे एक अभूतपूर्व अवसर के रूप में देखा जा रहा है. इस तकनीक के इस्तेमाल से मृतकों के परिवारों को ट्रैक करने और सूचित करने का प्रयास किया जा रहा है. यूक्रेन का कहना है कि इसका मकसद रूस के वॉर इनफॉर्मेशन फिल्टर में सुराग करना है. 

चेहरा पहचानने की तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है यूक्रेन

अमेरिकी आधारित क्लियरव्यू एआई, जिसकी अक्सर गोपनीयता की वकालत करने वालों द्वारा आलोचना की जाती है, का कहना है कि इसने यूक्रेनी अधिकारियों को अपनी सेवा तक मुफ्त पहुंच प्रदान की है, जो किसी की पहचान करने की कोशिश कर रहे यूजर्स द्वारा अपलोड की गई तस्वीरों के लिए इंटरनेट से छवियों से मेल खाती है. फर्म के सह-संस्थापक और सीईओ होन टन-दैट ने एक बयान में कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों ने क्लियरव्यू एआई तक पहुंच बनाने के लिए अपना उत्साह जताया है. यूक्रेन के उपप्रधानमंत्री मायखाइलो फेडोरोव ने बुधवार को लिखा कि उनका देश आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का उपयोग रूसी सैनिकों की मौत की सूचना प्रियजनों को देने के लिए सैनिकों के प्रोफाइल के लिए उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल करके सामाजिक नेटवर्क खोजने के लिए कर रहा था.

24 फरवरी से रूस और यूक्रेन के बीच लगातार जारी है जंग

रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से लगातार युद्ध जारी है. दोनों देशों के हजारों सैनिक मारे गए हैं. क्रेमलिन ने आधिकारिक रूप से अंतिम बार 500 सैनिकों के मारे जाने की बात कही थी लेकिन उसके बाद कोई अपडेट इसमें नहीं किया गया. वहीं नाटो के अधिकारियों ने कथित तौर पर मृत, घायल, लापता रूसी सैनिकों की 40,000 तक की संख्या का अनुमान लगाया है. स्थानीय रूसी मीडिया में सैनिकों की मौत और उनके अंतिम संस्कार की भी खबरें सामने आई हैं.

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