<p style="text-align: justify;">रुस के ऐतिहासिक शहर बेलगोरोड में वैसे तो यूक्रेन युद्ध का सीधे तौर से कोई असर नहीं दिखाई पड़ता है लेकिन यहां के लोग रुसी सेना को जरुर समर्थन करते नजर आ रहे हैं. ये समर्थन रुसी नागरिक अपनी गाड़ियों पर जेड (Z) निशान लगाकर कर रहे हैं. ये वही Z निशान है जो यूक्रेन के खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशन में रुसी सेना के टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों और मिलिट्री ट्रक पर दिखाई पड़ा था.</p>
<p style="text-align: justify;">बेलगोरोड शहर की सड़कों पर एबीपी न्यूज की टीम को कई ऐसी गाड़ियां दिखाई पड़ी जिनपर Z (जेड) का निशान लगा था. ये वही निशान है जो रुस की सैन्य गाड़ियों पर लगा होता है. दरअसल, जब भी कोई सेना किसी युद्ध में जाती है तो दुश्मन के टैंक और दूसरी सैन्य वाहनों से अपनी पहचान अलग करने के लिए ऐसे निशान लगा लेती है ताकि गलती से अपने ही टैंकों इत्यादि को निशाना ना बना लिया जाए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रूसी गाड़ियों पर है Z का निशाना </strong></p>
<p style="text-align: justify;">रुस की सेना ने जब यूक्रेन पर हमला यानी ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ शुरू किए तो ये तीन-चार तरफ से किए गए, और यही के लिए अलग अलग निशान चुने गए थे. पहला था बेलगोरोड की तरफ से यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर, जो रूस की सीमा से महज से 30 किलोमीटर की दूरी पर है. बेलगोरोड के दो बॉर्डर चैकपोस्ट की तरफ से जो रुसी टैंक और मिलिट्री काफिला यूक्रेन में दाखिल हुआ तो उनपर Z (जेड) का निशान था. यही वजह है कि बेलगोरोड के निवासियों ने भी अपनी गाड़ियों पर जेड का निशाना लगाना शुरु कर दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बेलारुस की तरफ से यूक्रेन पर किया गया था हमला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एबीपी न्यूज की टीम जब बेलगोरोड से यूक्रेन सीमा की तरफ जा रही थी तो रास्ते में जेड निशान वाले टैंक और मिलिट्री ट्रक दिखाई पड़े. रुसी सेना का दूसरा ऑपरेशन यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के दोनेत्सक और लुहांस इलाकों पर हुआ था. यहां पर भी रुसी सेना के काफिले पर जेड का निशान था. तीसरा ऑपरेशन क्रीमिया की तरफ से किया गया था जहां पर जेड निशान तो था लेकिन उसपर एक कट लगा दिया गया था. चौथा हमला बेलारुस की तरफ से यूक्रेन पर किया गया था. इस इलाके से यूक्रेन पर हमलै करने वाले टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों पर V (वी) यानि विक्टरी का निशान था. रुस जैसी बड़ी सेनाएं इसलिए भी अपनी मिलिट्री गाड़ियों पर इसलिए भी निशान लगाता हैं ताकि अलग अलग कमान के टैंक और गाड़ियों की पहचान की जा सके.</p>
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