अंतरराष्ट्रीय

Explained: इंडोनेशिया में पाम ऑयल संकट, जानिए क्या है वजह, क्या होगा इसका भारत पर असर

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के कारण सनफ्लॉवर ऑयल, सोयाबीन ऑयल और अन्य खाने के तेल की कीमतों में पहले से ही बढ़ोतरी चल रही थी. इस बीच पाम ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक इंडोनेशिया में चल रहा पाम ऑयल संकट इसकी कीमतों में और आग लगा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है इंडोनेशिया का पाम ऑयल संकट, क्यों आई ऐसी स्थिति और भारत के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं.

दुनियाभर में है दबदबा

इंडोनेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है, लेकिन पिछले कुछ समय से वरह इसकी कमी से जूझ रहा है औऱ वहां इस कारोबार से जुड़े लोगों ने सरकार को इसके शिपमेंट पर मूल्य नियंत्रण और कुछ प्रतिबंधों को लागू करने की मांग की है. इस सेक्टर में इंडोनेशिया कितना बड़ा खिलाड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए इंडोनेशिया के पाम तेल उत्पादन का अनुमान 45.5 मिलियन टन (एमटी) लगाया है. यह कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 60% है और यह आंकड़ा दूसरे सबसे बड़े उत्पादक मलेशिया (18.7 मिलियन टन) से कई गुना आगे है. इंडोनेशिया की बादशाहत कमोडिटी में भी है और वह 29 मिलियन टन के साथ कमोडिटी में भी नंबर 1 पर है.

धीरे-धीरे लड़खड़ाने लगे कदम

मार्च 2021 और मार्च 2022 के बीच इंडोनेशिया ने ब्रांडेड कुकिंग ऑयल सर्पिल की घरेलू कीमतों को करीब 14,000 इंडोनेशियाई रुपया (IDR) से 22,000 IDR प्रति लीटर तक देखा है. इसके बाद 1 फरवरी को  इंडोनेशियाई सरकार ने खुदरा कीमतों पर एक बैरियर लगाने का काम किया. सरकार ने प्रीमियम 1, 2 या 5 लीटर पैक के लिए 14,000 इंडोनिशियाई रुपया और 1 लीटर से नीचे के “सरल” न्यूनतम-लेबल वाले कंटेनरों के लिए 13,500 इंडोनेशियाई रुपया कीमत तय की थी. हालांकि उपभोक्ताओं के एक या दो पैक लेने के लिए घंटों लाइन में लगने की खबर आते ही इसकी कीमत और बढ़ने लगी.

क्या है इस संकट की वजह

अब बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इतना बड़ा उत्पादक देश कैसे पाम ऑयल संकट से गुजर रहा है. इसके पीछे तीन कारण हैं, आइए एक-एक करके इन्हें जानते हैं.

1. रूस यूक्रेन युद्ध

अगर खाने के अन्य तेलों जैसे- सन फ्लावर और सोयाबीन ऑयल की बात करें तो इसके उत्पादन के लिए यूक्रेन और रूस बड़े नाम हैं. ये वैश्विक बाजार का करीब 80 प्रतिशत उत्पादन करते हैं. लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से शुरू हुए युद्ध के कारण इसकी सप्लाई इन दोनों देशों से
ठप हो गई है. ऐसे में इनकी कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. जब सन फ्वावर, रिफाइंड ऑयल और सोयाबीन ऑयल की कमी हुई तो लोगों ने पाम ऑयल की ओर रुख किया. इससे भी इंडोनेशिया में पाम ऑयल का संकट आ रहा है.

2. दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन ऑयल की आपूर्ति प्रभावित

इस संकट का दूसरा बड़ा कारण दक्षिण अमेरिका से निकलकर आता है. दरअसल, दक्षिण अमेरिका में शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन ऑयल की आपूर्ति प्रभावित है. यूएसडीए ने 2021-22 के लिए ब्राजील, अर्जेंटीना और पराग्वे के संयुक्त सोयाबीन उत्पादन में 9.4% की गिरावट का अनुमान लगाया है, जो कि 6 वर्षों में महाद्वीप की सबसे कम उत्पादन है. ऐसे में यहां भी सनफ्लावर और सोयाबीन ऑयल की कमी से पाम ऑयल की डिमांड ज्यादा हो गई है और इससे उत्पादन और सप्लाई में गैप आ रहा है.

3. बायोडीजल के रूप में यूज

इंडोनेशिया की सरकार ने 2020 में जीवाश्म ईंधन के आयोत को कम करने के मकसद से पाम ऑयल के साथ डीजल के 30 प्रतिशत हिस्से को मिलाना अनिवार्य़ कर दिया था. ऐसे में इसका उपयोग ईंधन के रूप में भी तेजी से होने लगा. इससे वहां पाम ऑयल की घरेलू खपत 17.1 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें से 7.5 मिलियन टन बायो-डीजल के लिए और शेष 9.6 मिलियन टन घरेलू और अन्य उपयोग के लिए है. एक्सपर्ट भी कहते हैं कि, “पाम ऑयल को बायो-डीजल के लिए तेजी से डायवर्ट किया जा रहा है, जबकि खाने के तेल के अन्य विकल्प की भी कमी चल रही है. ऐसे में सारा बोझ पाम ऑयल पर आ गया है.

भारत पर क्यो होगा प्रभाव

पाम ऑयल संकट का भारत पर व्यापक असर पड़ेगा. दरअसल, इंडिया दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक देश है. भारत साल में 14-15 मिलियन टन आयात करता है. इसमें पाम ऑयल का हिस्सा 8-9 मिलियन टन है. इसके बाद सोयाबीन तेल के आयात की मात्रा 3-3.5 मिलियन टन और सनफ्लावर ऑयल के आयात की मात्रा 2.5 मिलियन टन है. इंडोनेशिया पाम ऑयल के मामले में भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता देश है. ऐसे में अगर वहां संकट है तो इसका असर साफ तौर पर भारत पर भी पड़ेगा.

ये भी पढ़ें

Explained: क्यों 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव में इमरान खान की हार तय है, जानिए- पूरा हिसाब-किताब

Explained: श्रीलंका में आर्थिक संकट के लिए कौन जिम्मेदार? अब क्या हैं ताजा हालात और दाने-दाने को कैसे मोहताज हुई जनता?

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button