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पाकिस्तान का पीएम बनने के बाद शाहबाज के लिए आसान नहीं है राह, सामने रहेंगी ये 5 बड़ी चुनौतियां

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अविश्वास प्रस्ताव में इमरान खान को हराने के बाद विपक्षी दलों ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग -एन के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया. जल्द ही वह पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का चार्ज ले लेंगे, लेकिन यह गद्दी शाहबाज के लिए कांटों से भरी होगी, उनके लिए यह राह इतनी आसान नहीं होगी. जिस बढ़ती महंगाई और डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ मोर्चा खोला था, उससे निपटना शाहबाज के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती होगी. आइए जानते हैं कि आखिर शाहबाज के सामने कौन सी 5 बड़ी चुनौतियां होंगी.

1. बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना

शाहबाज शरीफ जब कुर्सी संभालेंगे, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई से निपटने की होगी. पाकिस्तान में यह समस्या काफी बड़ी हो चुकी है और इसका असर अधिकतर लोगों पर पड़ रहा है. यहां खाने-पीने की चीजें लगातार महंगी होती जा रही हैं. कुछ सामान तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुके हैं.  ऐसे में बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना शाहबाज के लिए सबसे बड़ा टास्क होगा.

2. लचर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार पटरी से उतरी हुई है. देश पर दिनों दिन कर्ज बढ़ता जा रहा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, उसके विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 6.04 पर्सेंट की कमी आ रही है. 1 अप्रैल, 2022 तक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 1,131.92 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. यह रिजर्व 26 जून, 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है. यही नहीं पाकिस्तान में जुलाई-मार्च के बीच व्यापार घाटा 70.14 फीसदी बढ़कर 35.393 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. शाहबाज को डॉलर के मुकाबले गिरते पाकिस्तानी रुपये को भी उठाना होगा. मौजूदा समय में पाकिस्तानी रुपये की कीमत 1 डॉलर के मुकाबले 191 रुपये है. पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज भी बड़ी समस्या है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान पाकिस्तान का कुल कर्ज 5,272 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा है. सरकार का घरेलू कर्ज 2674 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से अधिक है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1188 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा का कर्ज दे रखा है. इन सब समस्याओं को दूर करना शाहबाज के लिए आसान नहीं होगा.

3. भारत से बिगड़े संबंधों को सुधारना

इमरान खान के कार्यकाल में भारत औऱ पाकिस्तान के संबंध अब तक के सबसे बुरे दौर में है. इमारन के कार्य़काल में उनकी बयानबाजी की वजह से संबंध लगातार बिगड़ते गए. ऐसे में शाहबाज के सामने चुनौती होगी कि कैसे भारत से पहले की तरह संबंध बेहतर किए जाएं और संबंध बेहतर करके पहले की तरह ही व्यापारिक संबंध फिर से मजबूत किए जाएं. क्योंकि नवाज शरीफ हमेशा भारत से संबंध बेहतर बनाने के हिमायती रहे हैं, ऐसे में माना जा राह है कि शाहबाज भारत से बातचीत की कोशिश कर सकते हैं.   

4. अमेरिका से रिलेशन सुधारना

कभी पाकिस्तान के संबंध अमेरिका से बहुत बेहतर थे. अमेरिका पाकिस्तान की काफी मदद करता था, लेकिन पिछले 5 साल में चीजें काफी बदल गई हैं और अब दोनों देशों के संबंध सबसे बुरे दौर में हैं. अमेरिका अब पाकिस्तान की किसी भी तरह आर्थिक मदद नहीं करता. रही सही कसर इमरान खान ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में निकाल दी. उन्होंने अमेरिका पर उनके खिलाफ षडयंत्र रचने का आरोप लगाते हुए सनसनी फैला दी थी. ऐसे में दोनों देशों के बीच फिर से पहले जैसे संबंध बनाने की चुनौती शाहबाज के सामने होगी.

5. सेना से खराब संबंध की धारणा को तोड़ने की कोशिश

शाहबाज शरीफ के सामने यह मसला भी बड़ा है. दरअसल शाहबाज जिस पार्टी से संबंध रखते हैं उसके संबंध सेना से कभी अच्छे नहीं रहे हैं. इसी पार्टी से जब-जब उनके भाई नवाज शरीफ पीएम रहे, तब-तब सेना के साथ कुछ न कुछ गलत हुआ. सेना और सरकार के बीच हमेशा टकराहट दिखी है. ऐसे में शाहबाज के सामने सेना से संबंध बेहतर करने की चुनौती भी होगी.

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