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भाई शहबाज का हाथ, आंकड़ों का साथ फिर क्यों पाकिस्तान में नवाज शरीफ हैं PM की रेस से बाहर

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नया पाकिस्तान का नारा देने वाले इमरान खान की सत्ता जा चुकी है और पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ का पीएम बनना तय माना जा रहा है. भारतीय समयानुसार रात 8.30 बजे नए पीएम शपथ लेंगे. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में इमरान खान को हार का सामना करना पड़ा था. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. 

अब सवाल उठ रहा है कि जब आंकड़ों का गणित उनकी पार्टी पीएमएल-एन के हक में है. विपक्षी पार्टियों का समर्थन भी है तो क्यों नवाज शरीफ इस बार पीएम की रेस से बाहर हैं. आइए आपको बताते हैं. दरअसल, इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है. साल 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ के राजनीतिक करियर पर फुल स्टॉप लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, नवाज शरीफ न तो आजीवन चुनाव लड़ पाएंगे और ना ही किसी पार्टी की अध्यक्षता कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत एक सांसद को अयोग्य ठहराने की समय अवधि तय करने से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था.  सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अनुच्छेद 62 (1) (एफ) का हवाला दिया, जिसके मुताबिक एक सांसद को खास शर्तों के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है, लेकिन अयोग्यता की अवधि तय नहीं की जाती है.

अनुच्छेद 62, के तहत एक सांसद के लिए  शर्त यह है कि उसे ईमानदार और नेक होना पडे़गा. गौरतलब है कि इसी अनुच्छेद के आधार पर इससे पहले पनामा पेपर्स मामले में भी शरीफ़ को बैन किया गया था. इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था और संसद की सदस्यता से भी इस्तीफ़ा देना पड़ा था. पनामा पेपर्स मामला इंटरनेशनल लेवल पर मीडिया समूहों के एक संगठन ने उजागर किया था. इसमें दुनिया भर के उन तमाम लोगों के नाम सामने लाए गए थे जिन्होंने पनामा जैसे छोटे से देश की कानूनी फ़र्म- मोज़ैक फोन्सेका की मदद से फ़र्ज़ी कंपनियां बनाकर अपने काले धन को विदेश में ठिकाने लगाया. इनमें शरीफ़ परिवार के लोगों का भी नाम था.

बता दें कि नवाज शरीफ तीन बार पीएम रह चुके हैं. सबसे पहली बार वह 1 नवम्बर 1990 से 18 जुलाई 1993 तक पीएम रहे. इसके बाद 17 फ़रवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 तक सत्ता संभाली. तीसरी बार वह 5 जून 2013 को पीएम बने थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. 

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