अंतरराष्ट्रीय

Explained: भारत और अमेरिका के बीच क्या है 2+2 वार्ता और कब हुई थी इसकी शुरुआत?

भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक समेत कई अहम मुद्दों को लेकर टू प्लस टू वार्ता हुई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने अमेरिकी समकक्ष से बातचीत के लिए वॉशिंगटन पहुंचे हैं. भारत और अमेरिका के बीच सोमवार को ये चौथे दौर की 2+2 वार्ता हुई. टू प्लस टू वार्ता महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक विकास के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करती है. इस पर विचार किया जाता है कि दो देश आम हित और वैश्विक या फिर क्षेत्रिय चिंता के मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर कैसे काम कर सकते हैं? वार्ता करने के पीछे मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते बनाना है. 

भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता

दोनों राष्ट्रों के बीच टू प्लस टू वार्ता (2+2 Dialogue) एक ऐसी मंत्रिस्तरीय बातचीत होती है, जिसमें दो देशों के दो अलग-अलग मंत्रालयों के बीच बैठक आयोजित की जाती है. दोनों देशों के दो-दो मंत्री इस बैठक में मौजूद होते हैं. इसी वजह से इसे 2+2 वार्ता कहते हैं. भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता दोनों देशों के बीच बातचीत को लेकर एक हाई लेवल मंच है. टू प्लस टू वार्ता में भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा के लिए एक साझा मंच प्रदान किया जाता है. यह वार्ता भारत और अमेरिका के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक और रणनीतिक सहयोग को लेकर केंद्रित है. साथ ही इस वार्ता का एक और मकसद हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्‍व को सीमित करने के उपायों पर विचार विमर्श करना भी है.

कब हुई थी इसकी शुरुआत?

अमेरिका और भारत के बीच मंत्रिस्तरीय वार्ता का ये सिलसिला साल 2018 में शुरू हुआ था. इसे 2+2 डायलॉग भी कहा जाता है. इसमें दोनों देशों के दो-दो मंत्रालयों के मंत्री वैश्विक समेत कई मसलों पर गंभीरता से विचार करते हैं. दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने पर विस्तार से चर्चा की जाती है. साथ ही एशिया में चीन को टक्कर देने के लिए भारत को मजबूत करने की अमेरिकी सरकार की नीति का एक अहम हिस्सा समझा जाता है ताकि चीन की दादागिरी और प्रभुत्व को सीमित कर एक तरह से नियंत्रण किया जा सके.

टू प्लस टू वार्ता के दौरान मंत्रियों ने यूक्रेन में बिगड़ते मानवीय संकट से निपटने के लिए आपसी कोशिशों की समीक्षा की और इस दुश्मनी को खत्म करने की अपील की. रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से लगातार हमले जारी हैं. अमेरिका और भारत का इस मसले पर बिल्कुल अलग-अलग दृष्टिकोण रहा है. भारत रूस और यूक्रेन के बीच शांति का पक्षधर तो है और कई बार इसे लेकर कड़े शब्दों का इस्तेमाल भी कर चुका है लेकिन सीधे तौर पर भारत ने कभी रूस की कड़ी आलोचना नहीं की है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ वोटिंग के दौरान भी भारत बाहर रहा है. रूस से तेल आयात को लेकर भी भारत ने साफ तौर से कहा है कि भारत जितना एक महीने में तेल आयात करता है उतना तेल यूरोप के देश एक दिन की दोपहर में ही खरीद लेते हैं. 

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