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न्यूयॉर्क में फायरिंग के बाद अमेरिका को रास आया भारत का ये सिस्टम, ऐसी ही व्यवस्था की उठी मांग

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अमेरिका के न्यूयॉर्क में ब्रुकलिन सबवे की घटना के बाद वहां भी भारत जैसे मेट्रो सुरक्षा इंतजामों की मांग ज़ोर पकड़ने लगी है. न्यूयॉर्क इलाके में यात्री सुरक्षा हितों पर काम करने वाले संगठन ‘पैसेंजर यूनाइटेड’ ने जहां सुरक्षा इंतजामों में चूक का मुद्दा उठाया है, वहीं सबवे स्टेशनों पर गार्ड तैनात किए जाने की भी मांग की है.

स्टेशनों पर बेहद कमजोर इंतजाम

ब्रुकलिन में मंगलवार सुबह हुई घटना के घंटों बाद भी अब तक न तो हमलावर को पकड़ा जा सका है और न ही इस वारदात के पीछे उसके मकसद का कुछ पता चल सका है. साथ ही मेट्रो स्टेशन में लगे सीसीटीवी कैमरों का काम न करना भी बड़ी लापरवाही है. पैसेंजर यूनाइटेड के प्रमुख और सीईओ चार्लटन डिसूजा कहते हैं कि यह सीधे तौर सरकारी लापरवाही का मामला है. परिवहन प्रबंधन के लिए जिम्मेदार मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के इंतजाम बहुत कमजोर हैं.

स्टेशनों पर गार्ड तक तैनात नहीं

डिसूजा के मुताबिक, कई बार यात्री सुरक्षा का मुद्दा उठाए जाने के बावजूद एमटीए ने सबवे स्टेशनों पर सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं किए हैं. जबकि भारत, कोरिया समेत दुनिया के क़ई देशों में मेट्रो स्टेशन में इस तरह बिना किसी जांच पड़ताल के आवाजाही मुमकिन नहीं है. ऐसे ही सुरक्षा इंतजाम अमेरिका और खासकर न्यूयॉर्क में किए जाने चाहिए.

बिना जांच के सामान लेकर प्लेटफॉर्म तक एंट्री

धमाके और गोलीबारी की घटना के महज़ चंद घंटे बाद मेट्रो स्टेशन को सामान्य आवाजाही के लिए खोल दिया गया, लेकिन इस घटना के बाद भी लापरवाही जारी रही. बिना किसी सुरक्षा जांच के लोगों का आना-जाना जारी था. लोग बिना किसी जांच के सीधे अपने सामान के साथ प्लेटफॉर्म तक पहुंच रहे थे.

राजनीति की वजह से नहीं निकलता समाधान

अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पत्रकार मुनिश ब्याला कहते हैं कि ब्रुकलिन की घटना अमेरिका में गन कंट्रोल न होने का एक और नमूना है. व्यवस्था में ऐसी क़ई खामियां हैं जिनके कारण कभी थियेटर तो कभी स्कूल, कॉलेज में गोलीबारी की घटनाएं होती रहती हैं. पर राजनीति की वजह से इसका कोई समाधान नहीं निकल पाता है.

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