<p>अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य की ओरेंजबर्ग काउंटी में 170 से अधिक कमरों का अरमोनी होटल, अमेरिका के उन सैकड़ों होटल और मोटल में शामिल है, जिनको भारतीय अमेरिकी चला रहे हैं. इस संख्या के रुतबे का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के 60 फीसदी होटल कारोबार की कमान भारतीय-अमेरिकी लोगों के पास है.</p>
<p><strong>गुजरात से आए परिवारों ने इस कारोबार को अपनाया</strong></p>
<p>यह कहानी बीते 60-70 सालों में अमेरिकी धरती पर लिखी एक सफलता की दास्तां भी है. अरमोनी के संचालक अशोक भट्ट बीते तीन दशकों से होटल कारोबार से जुड़े हैं. वो बताते हैं कि सामुदायिक प्रयासों और खासतौर पर भारत के गुजरात से आए परिवारों ने होटल-मोटल कारोबार को अपनाया. धीरे-धीरे उनका और अन्य भारतीय-अमेरिकियों का कारोबार इतना फैला कि आज अमेरिका की हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में नीतियों की दिशा काफी हद तक यह एक समुदाय तय करता है.</p>
<p>भट्ट के मुताबिक, अमेरिका के लगभग हर हिस्से में भारतीयों के संचालन वाले होटल और मोटल आपको मिल जाएंगे. इतना ही नहीं कोरोना के जिस काल में होटल और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को सबसे तगड़ा झटका लगा. उस दौर में भी अशोक भट्ट की कंपनी ने 13 नए होटल लिए. उनके जैसे कई अन्य भारतीय अमेरिकी कारोबारियों ने इस वक्त का लाभ उठाया और अपनी ताकत बढ़ाई.</p>
<p><strong>होटल और मोटल में क्या है अंतर?</strong></p>
<p>होटल किसी भी जगह पर हो सकते हैं. इसमें ठहरने के लिए कमरे होते हैं. भोजन कक्ष होता है. रसोई घर भी होता है, जबकि मोटल मुख्यतः हाइवे पर होते हैं. इनका काम उन यात्रियों को रात रुकने का जगह उपलब्ध कराना है, जो लंबे सफर पर निकले हैं और रात में सफर नहीं करना चाहते है. ज्यादातर मोटल सड़क के किनारे होते हैं, जहां कमरे के साथ ही पार्किंग के लिए भी जगह होती है.</p>
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