PTI और सेना के बीच रिश्ते तनावपूर्ण थे
पाकिस्तान के पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बुधवार को एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि इमरान की पार्टी पाकिस्तान PTI और सेना के बीच रिश्ते कई महीनों से तनावपूर्ण थे. उन्होंने कहा कि, “हमने प्रतिष्ठान (सेना) के साथ अपनी गलतफहमियों को दूर करने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके.” पाकिस्तान के गठन को सात दशक से कुछ ज्यादा वक्त हुआ है और इस दौरान आधे से ज्यादा समय तख्ता पलट कर देश पर सेना ने शासन किया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पारित होने के बाद 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री पद गंवाने वाले इमरान ने पाक सेना का समर्थन उस समय खो दिया था, जब उन्होंने बीते साल खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की नियुक्ति को समर्थन देने से इनकार कर दिया था. हालांकि, वह अंत में इसके लिए तैयार हो गए, लेकिन तब तक सेना से उनके संबंध बिगड़ चुके थे.
…तो पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो सकते थे
गौरतलब है कि इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपदस्थ किए जाने वाले पाकिस्तान के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं. बतौर प्रधानमंत्री पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के शहबाज शरीफ ने उनकी जगह ली है. इमरान ने अपने समर्थकों से बृहस्पतिवार को लाहौर की मीनार-ए-पाकिस्तान पहुंचने का आह्वान किया है और वह इस आयोजन को मुल्क के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी रैली बनाने का लक्ष्य रखते हैं. उन्होंने कहा कि सभी संस्थाएं भ्रष्ट नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़े कुछ तत्व गलत कृत्यों में शामिल होते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री ने सेना की तारीफ करते हुए कहा, “पाकिस्तान को इमरान खान से ज्यादा सशस्त्र बलों की जरूरत है. अगर यहां एक मजबूत सेना नहीं होती तो पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो सकते थे. ”उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका राजनीतिक दल कभी भी सशस्त्र बलों के खिलाफ नहीं बोला है, बल्कि उसे मजबूत बनाने का काम किया है. इमरान खान के अपदस्थ होने के बाद से ट्वीटर पर ‘बाजवा विरोधी और न्यायाधीश विरोधी’ (एंटी-बाजवा और एंटी-जजेज) ट्रेंड कर रहा है और इसने सेना प्रमुख तथा पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश को इसकी आलोचना करने पर भी बाध्य कर दिया है.
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भ्रष्टाचार के तमाम मामलों में लिप्त नवाज शरीफ नवंबर 2019 से ही लंदन में हैं. गौरतलब है कि लाहौर उच्च न्यायालय ने शरीफ को इलाज के लिए चार सप्ताह के लिए लंदन जाने की इजाजत दी थी. विशेषज्ञों की मानें तो नवाज शरीफ से उलट उनके भाई और देश के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के संबंध सेना के साथ सौहार्दपूर्ण हैं. खान ने बतौर प्रधानमंत्री पिछले तीन साल को अपने जीवन का सबसे मुश्किल वक्त बताया.