अंतरराष्ट्रीय

फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुलाए, ये है पूरा मामला

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

<p style="text-align: justify;">अमेरिका के सबसे पुराने सहयोगी देश फ्रांस ने अप्रत्याशित रूप से गुस्सा जताते हुए अमेरिका से अपने राजदूत को शुक्रवार को वापस बुला लिया. दोनों देशों के बीच 18वीं सदी की क्रांति के दौरान बने संबंधों में दरार आती नजर आ रही है. दरअसल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नया हिंद-प्रशांत सुरक्षा गठबंधन बनाने में फ्रांस को छोड़ दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">फ्रांस के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह पहली बार है जब उसने अमेरिका से अपने राजदूत को वापस बुलाया है. उसने ऑस्ट्रेलिया से भी अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. वहीं फ्रांसीसी विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने एक लिखित बयान में कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के अनुरोध पर लिया गया यह फैसला ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका द्वारा की गई &lsquo;&lsquo;घोषणा की असाधारण गंभीरता को देखते हुए न्यायोचित&rsquo;&rsquo; है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अमेरिका, </strong><strong>ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन</strong><strong> ने &lsquo;</strong><strong>ऑकस&rsquo; </strong><strong>की घोषणा की</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन &lsquo;ऑकस&rsquo; की घोषणा की है. गौरतलब है कि फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था. नई ऑकस पहल की शर्तों के तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए डीजल पनडुब्बियों के निर्माण का यह सौदा समाप्त हो जाएगा, जिससे फ्रांस नाखुश है. &nbsp;विदेश मंत्री ने कहा कि समझौता खत्म करने का ऑस्ट्रेलिया का फैसला &lsquo;&lsquo;सहयोगियों और साझेदारों के बीच अस्वीकार्य बर्ताव&rsquo;&rsquo; है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>फ्रांस से मतभेदों को दूर करने के लिए प्रयास करते रहेंगे- अमेरिका</strong></p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;राजदूत फिलिप एतिने ने ट्वीट किया कि इन घोषणाओं का &lsquo;&lsquo;हमारे गठबंधनों, हमारी साझेदारियों और यूरोप के लिए हिंद-प्रशांत की महत्ता की हमारी दूरदृष्टि पर प्रत्यक्ष असर पड़ रहा है.&rsquo;&rsquo; अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली होर्न ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन एतिने को पेरिस वापस बुलाने के फैसले को लेकर फ्रांसिसी अधिकारियों के करीबी संपर्क में है. उन्होंने एक बयान में कहा, &lsquo;&lsquo;हम उनकी स्थिति समझते हैं और हम अपने मतभेदों को दूर करने के लिए आने वाले दिनों में काम करते रहेंगे, जैसा कि हमने हमारे लंबे गठबंधन के दौरान कई मौकों पर किया है. फ्रांस हमारा सबसे पुराना सहयोगी और मजबूत साझेदारों में से एक है. हमारा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने का लंबा इतिहास रहा है.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भी फ्रांस के साथ संबंधों को अहमियत दी और उम्मीद जतायी कि दोनों देशों के बीच बातचीत आने वाले दिनों में जारी रहेगी. इसमें अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक भी शामिल है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मैक्रों </strong><strong>2017 के बाद पहली बार </strong><strong>विश्व नेताओं की वार्षिक बैठक में भाषण नहीं देंगे</strong></p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;हालांकि 2017 में सत्ता में आने के बाद से ऐसा पहली बार होगा, जब मैक्रों विश्व नेताओं की वार्षिक बैठक में भाषण नहीं देंगे. उनके बजाय विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे. मैक्रों ने अभी राजदूत को वापस बुलाने के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की है. चार साल के उनके कार्यकाल में यह विदेश नीति का सबसे साहसी कदम बताया जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;इससे पहले शुक्रवार को फ्रांस के एक शीर्ष राजनयिक ने गोपनीयता की शर्त पर बताया था कि मैक्रों को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से बुधवार सुबह एक पत्र मिला जिसमें पनडुब्बी समझौते को रद्द करने के फैसले की घोषणा की गयी है. फ्रांसिसी अधिकारियों ने तब अमेरिकी प्रशासन से यह पूछने के लिए संपर्क किया था कि क्या चल रहा है. उन्होंने बताया कि बाइडन के घोषणा करने से महज दो से तीन घंटे पहले ही वाशिंगटन के साथ बातचीत की गयी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>लि द्रीयां</strong><strong> ने </strong><strong>ऑस्ट्रेलिया </strong><strong>और</strong><strong> अमेरिका</strong><strong> की आलोचना की</strong></p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;लि द्रीयां ने बृहस्पतिवार को बताया कि उन्हें फैसले के बारे में &lsquo;&lsquo;बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी&rsquo;&rsquo; और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका दोनों की आलोचना की. फ्रांस के विदेश मंत्री ने कहा, &lsquo;&lsquo;यह वास्तव में पीठ में एक छुरा घोंपना है. हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ भरोसे का रिश्ता बनाया और इस भरोसे को तोड़ा गया. सहयोगियों के बीच ऐसा नहीं किया जाता.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आस्ट्रेलिया ने फ्रांस के राजदूत वापस बुलाने पर जताया खेद</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस बीच, ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस द्वारा अपने राजदूत को वापस बुलाए जाने पर शनिवार को खेद जताया. ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने के कार्यालय ने एक बयान में कहा, &lsquo;&lsquo;अटैक क्लास परियोजना पर फैसले के बाद विचार विमर्श के लिए ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत को वापस बुलाने के फ्रांस के निर्णय पर हम खेद जताते हैं.&rsquo;&rsquo; बयान में कहा गया है, &lsquo;&lsquo;ऑस्ट्रेलिया अपने फैसले को लेकर फ्रांस की गहरी निराशा को समझता है. हमने यह फैसला अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को देखते हुए लिया है.&rsquo;&rsquo; इसमें कहा गया है कि फ्रांस के साथ अपने रिश्ते को आस्ट्रेलिया अहमियत देता है और भविष्य में एक साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है. ऑस्ट्रेलिया में फ्रांस के राजदूत ज्यां पियरे थेबॉल्त ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने कभी यह जिक्र नहीं किया था कि यह परियोजना रद्द की जा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इससे पहले फ्रांस ने तुर्की से भी अपना राजदूत वापस बुला लिया था</strong></p>
<p style="text-align: justify;">गौरतलब है कि पेरिस ने इटली के नेताओं के फ्रांसिसी सरकार के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां करने के बाद 2019 में पड़ोसी देश से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था. पिछले साल फ्रांस ने तुर्की से अपने राजदूत को तब वापस बुला लिया था जब तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोआन ने कहा था कि मैक्रों को दिमागी इलाज की जरूरत है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><a href="https://www.abplive.com/news/world/us-fda-approve-pfizer-booster-dose-for-over-65-year-age-1969808"><strong>US FDA ने फाइजर कोविड बूस्टर को दी मंजूरी, 65 वर्ष से अधिक और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को लगेगी वैक्सीन</strong></a></p>
<p style="text-align: justify;"><a href="https://www.abplive.com/news/world/300-songbirds-found-dead-in-near-to-world-trade-center-1969794"><strong>वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के स्मारक के पास मिली 300 पक्षियों की लाश, मौत की वजह जान हो जाएंगे हैरान</strong></a></p>

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button