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अफगानिस्तान: तालिबान ने महिलाओं का हक छीना, कहा- ‘जो काम पुरुष नहीं कर सकते, वो काम करो’

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काबुल: अफगानिस्तान पर तालिबानी हुकूमत का एक महीना गुजर चुका है. तालिबान सरकार दुनिया को बार बार ये भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि उसके राज में महिलाओं को नौकरी-पढ़ाई जैसी तमाम सुविधाएं पुरुषों की तरह ही मिलेगी, लेकिन हकीकत ये है कि उसकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है. तालिबानी सरकार ने एक महीने के अंदर महिलाओं की प्रगति पर काम करने के बजाय लगातार उनके दमन और शोषण वाले फैसले सुनाए हैं. जिस तालिबानी हुकूमत का डर वहां की औरतों को सता रहा था अब वो सब सच होना लगभग शुरू हो चुका है.

तालिबान की वादाखिलाफी-

  • तालिबान ने महिलाओं को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी.
  • विश्वविद्यालय में वो क्या पहन सकती हैं, इसके लिए नियम जारी किए.
  • यूनिवर्सिटी में क्लासरूम में छात्र छात्राओं के बीच पर्दा रहेगा.
  • वहीं, स्कूली स्तर पर को-एजुकेशन को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया.

अब तालिबान सरकार ने एक नया फरमान जारी किया है, जिसमें महिला मामलों के मंत्रालय में ही महिला कर्मचारियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. काबुल के कार्यवाहक मेयर हमदुल्ला नामोनी ने कहा,  ‘’शुरुआत में हमने उन सभी महिलाओं को अपने काम पर मौजूद रहने के लिए कहा, लेकिन फिर हमने ये फैसला किया कि महिला कामगारों को कुछ समय के लिए अपना काम बंद कर देना चाहिए.’’

तालिबान के नए आदेश के मुताबिक

  • महिलाओं को पुरुषों के साथ सरकारी मंत्रालयों में काम करने की अनुमति नहीं होगी.
  • महिला मामलों के मंत्रालय में ही महिला कर्मचारियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है.
  • अब वहां सिर्फ पुरुषों को काम करने की इजाजत मिली है.

महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिला कर रहेंगे- NRF

काबुल में नगर पालिका में 3 हजार कर्मचारी काम कर रहे थे, जिसमें एक हजार के करीब महिलाएं काम करती थी. तालिबान के इस फरमान के बाद नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने बयान जारी कर इसका विरोध किया है. NRF ने जारी बयान में कहा है कि सेकेंडरी स्कूल में लड़के-लड़कियों को साथ पढ़ने पर रोक लगाने के फैसला गलत है. हम अपने नागरिकों को समान शिक्षा के अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहेंगे.

सरकारी मंत्रालयों में महिलाओं के लिए दरवाजा बंद कर दिया गया. इसी फरमान के विरोध में काबुल की सड़कों पर महिलाएं आंदोलन कर रही हैं. ताकि उन्हें अपना हक मिल सके. प्रदर्शनकारी महिला बसीरा तवाना ने कहा, ‘’इस्लाम में महिलाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं. वो हमारा अधिकार क्यों ले रहे हैं? हमें महिलाओं के लिए फिर से खोलने के लिए स्कूलों की जरूरत है. महिलाओं को अपने काम पर वापस जाना चाहिए हम और कुछ नहीं मांग रहे हैं. हमें बस अपना हक चाहिए.’’

महिलाएं मंत्री नहीं बन सकती, वह सिर्फ बच्चे पैदा करें- तालिबान

तालिबान राज के बाद से ही आशंका थी कि महिलाओं के प्रति उसका रवैया ठीक नहीं होगा. यहां तक कि तालिबान ने जिस सरकार का गठन किया, उसमें एक भी महिला शामिल नहीं की. इसपर सवाल पूछने पर तालिबान के प्रवक्ता ने मीडिया के सामने ये तक कह दिया था कि महिलाएं मंत्री नहीं बन सकती, वह सिर्फ बच्चे पैदा करें.

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