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चुनाव बाद भी जर्मनी के चांसलर के नाम पर नहीं लगी है मुहर, कौन बनेगा किंग, कौन होगा किंगमेकर

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<p style="text-align: justify;">एंजेला मर्केल की विदाई के साथ ही जर्मनी की राजनीति का एक युग खत्म होने जा रहा है. एंजेला मर्केल की विदाई चुनावी मैदान में असरदार साबित नहीं हुई. नए चांसलर के लिए जर्मनी में हुए चुनावों में एंजेला मर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी को पछाड़ते हुए सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के चांसलर उम्मीदवार ओलफ शोल्ज ने बढ़त हासिल की है. इस चुनाव में मर्केल की पार्टी CDU और उनकी सहयोगी CSU को चुनावों में कुल 24.1 प्रतिशत वोट मिले हैं. वहीं SPD पार्टी ने 25.7 प्रतिशत वोट हासिल की है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मर्केल की पार्टी को मिले 196 सीट</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर सीटों की बात करें तो मर्केल की पार्टी CDU/CSU को 196 सीट पर जीत हासिल हुई है वहीं SPD को 206 सीटें मिली हैं. सीडीयू-सीएसयू के खराब प्रदर्शन की एक वजह तो ये रही है कि 16 सालों तक जर्मनी की चांसलर रहने के बाद पार्टी में एंजेला मर्केल की जगह लेना वाला वैसा कद्दावर नेता नहीं था. जिसे सीडीयू-सीएसयू ने चांसलर पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना आर्मिन लार्शेट, वो जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन खुद पार्टी के अंदर भी खासतौर पर सीएसयू में वे बहुत लोकप्रिय नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बन सकती है गठबंधन की सरकार</strong></p>
<p style="text-align: justify;">चुनावी आंकड़ों को देखें तो जर्मनी में एक बार फिर गठबंधन की सरकार बनती दिखाई दे रही है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की हर सरकार गठबंधन वाली ही रही है. मौजूदा सरकार में CDU और SPD का गठबंधन है, लेकिन ये दोनो पार्टियां फिर से एक साथ आएंगी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है. इस बार जर्मन चांसलर बनाने में ग्रीन पार्टी और FDP किंग मेकर की भूमिका में है. ग्रीन पार्टी को 14.8 प्रतिशत वोट मिले हैं और 118 सीटों पर जीत हासिल की है. FDP को 11.5 प्रतिशत वोट और 92 सीटें हासिल की है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये दो दल किंगमेकर की भूमिका में</strong></p>
<p>जर्मनी में आम चुनाव के एक हफ्ते के बाद स्थिति ये है कि जो नंबर तीन और चार नंबर की पार्टियां रही वे किंगमेकर की भूमिका में आ चुकी हैं. ये दो दल हैं बिजनेस फ्रेंडली एफडीपी और वातावरण फ्रेंडली ग्रीनस. जिस भी बड़े दल को इन दो दलों का समर्थन होगा वो सरकार बनाएगी.</p>
<p>पहले संभावित गठबंधन को आम तौर पर ट्रैफिक लाइट कोएलिशन कहा जाता है, ट्रैफिक लाइट इसलिए क्योंकि जर्मनी में सभी दलों को एक रंग मिला हुआ है. जैसे सीडीयू-सीएसयू के लिए काला रंग, एसपीडी के लिए लाल रंग और ग्रीन पार्टी के लिए ग्रीन रंग, एफडीपी के लिए पीला.</p>
<p><strong>सरकार बनाने को लेकर क्या है संभावना</strong></p>
<p>अगर एंजेला मर्केल की CDU/CSU, बिजनेस फ्रेंडली FDP और पर्यावरण के लिए काम करने वाली ग्रीन पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, अगर ऐसा होता है तो इसे जमैका गठबंधन कहा जाएगा. क्योंकि ये तीनों रंग मिलकर जमैका देश का राष्ट्रीय ध्वज बनाते हैं. इस गठबंधन में चांसलर का चेहरा CDU/CSU की तरफ से आर्मिन लाशेट हैं.</p>
<p>दूसरी संभावना है कि SPD, FDP और ग्रीन पार्टी मिलकर सरकार बना सकती हैं जिसे ट्रैफिक लाइट गठबंधन कहा जाएगा जिसकी संभावना सबसे ज्यादा है. इस गठबंधन का चेहरा SPD की तरफ से ओलाफ्स शोल्स हैं. वहीं ग्रीन पार्टी से एनालेना बेयरबॉक भी चांसलर पद की दौड़ में हैं.</p>
<p>तीसरी संभावना है कि नंबर एक और नंबर दो पार्टी सेंटर लेफ्ट एसपीडी और कंजरवेटिव सीडीयू-सीएसयू पार्टियों के साथ आकर सरकार बनाने का. याद रखिए कि यही दोनों दल इस समय महागठबंधन सरकार का हिस्सा हैं और इसके पहले भी ये सरकार बना चुके हैं.</p>
<p><strong>भारत को हो सकता है यह फायदा</strong></p>
<p>इस बार की जर्मन गठबंधन सरकार में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा सबसे बड़ा है. नई जर्मन सरकार से भारत को क्या फायदा हो सकता है आइये जानते हैं. अमेरिका में बाइडेन भी क्लाइमेट चेंज को लेकर चार ट्रिलियन डॉलर इंवेस्टमेंट की बात हो रही है. यहां जर्मनी भी करेगा तो भारत के लिए मौका है भारत को ग्रीन एनर्जी और टेक्नोलॉजी को जल्दी जल्दी उभारना चाहिए. ग्रीन एनर्जी को बढ़ाना चाहिए. भारत की इंडस्ट्री को एडवांटेज लेना चाहिए. जर्मनी रिसर्च के लिए फंड वगैरह देगा तो भारत को अपनी पॉलिसी बेहतर करनी होगी स्टार्ट अप को मौका मिलेगा. भारतीय कंपनियों को तैयार हो जाना चाहिए इस मौके का फायदा उठाने के लिए.</p>
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