2021 Nobel Prize in Chemistry: रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए इस साल का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यूसी मैकमिलन को देने का बुधवार को एलान किया गया. अणुओं के निर्माण के वास्ते उपकरण बनाने के लिए इन दोनों वैज्ञानिकों को रसायन विज्ञान का यह नोबेल पुरस्कार दिया गया है. ऑर्गेनोकैटलिसिस एक आश्चर्यजनक गति से विकसित हुआ है. इन प्रतिक्रियाओं का उपयोग करते हुए, शोधकर्ता अब नए फार्मास्यूटिकल्स से लेकर अणुओं तक कुछ भी अधिक कुशलता से बना सकते हैं, जो सौर कोशिकाओं में प्रकाश को पकड़ सकते हैं.
एसिमेट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस की खोज को रसायन विज्ञान में 2021 नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है, जिससे आणविक निर्माण को पूरी तरह से नए स्तर पर ले गया है. इसने न केवल रसायन विज्ञान को हरा-भरा बना दिया है, बल्कि असीमित अणुओं का उत्पादन करना भी बहुत आसान बना दिया है. इससे पहले, मंगलवार को इस साल का भौतिकी के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार स्यूकुरो मानेबे, क्लॉस हैसलमैन और जियोर्जियो पेरिसिक को दिया गया है. द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस की तरफ से यह पुरस्कार जलवायु और जटिल भौतिक प्रणालियों में खोजों के लिए तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है.
BREAKING NEWS:
The 2021 #NobelPrize in Chemistry has been awarded to Benjamin List and David W.C. MacMillan “for the development of asymmetric organocatalysis.” pic.twitter.com/SzTJ2Chtge
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2021
जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया. जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को ‘पृथ्वी की जलवायु की भौतिक ‘मॉडलिंग’, ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन’ क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.
पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के 73 वर्षीय जॉर्जियो पारिसी को चुना गया है. उन्हें ‘परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ के लिए चुना गया. तीनों ने ‘जटिल प्रणालियों’ पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.
निर्णायक मंडल ने कहा कि मनाबे और हैसलमैन ने ‘पृथ्वी की जलवायु और मनुष्य के इस पर प्रभाव के बारे में हमारे ज्ञान की बुनियाद रखी’. अब न्यूजर्सी के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में रहने वाले मनाबे ने 1960 के दशक की शुरुआत में दर्शाया था कि वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से वैश्विक तापमान किस तरह बढ़ेगा और इस तरह उन्होंने मौजूदा जलवायु मॉडलों की बुनियाद रखी थी.
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