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भारत और रूस के एस-400 सौदे पर अमेरिका के 2 सीनेटरों ने जताई सहमति

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India-Russia S-400 Deal: भारत द्वारा रूस से एस-400 सैन्य मिसाइल प्रणाली खरीदने को लेकर दो अमेरिकी सीनेटरों ने सहमति जताई है. अमेरिकी सीनेटरों और इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष मार्क वॉर्नर और जॉन कॉर्निन ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक पत्र भेजकर भारत पर लगे प्रतिबंधों में छूट देने को कहा है. अमेरिकी सीनेटरों मार्क वॉर्नर और जॉन कॉर्निन ने भारत के खिलाफ काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) प्रतिबंधों को माफ करने के लिए राष्ट्रपति बाइडन से आग्रह किया है. भारत ने लंबी अवधि की सुरक्षा जरूरतों के लिए 5 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली में 19वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान पांच S-400 सैन्य हथियार खरीद के लिए रूस से समझौता किया था. S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है. भारत ने इस हथियार की खरीद के लिए रूस के साथ 5.43 बिलियन अमरीकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए.

सीनेटरों ने पत्र में क्या लिखा?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को लिखे पत्र में सीनेटर मार्क वार्नर और जॉन कॉर्निन ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि सीएएटीएसए (CAATSA) के तहत राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए भारत को इसके प्रावधानों से छूट मिलनी चाहिए. अमेरिका के दोनों सीनेटरों ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा कि ऐसा करना अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हित में भी है. पत्र में दोनों सीनेटरों ने लिखा,”हम रूसी सैन्य हथियार खरीद के संबंध में आपकी परेशानी को बखूबी समझते हैं. सीनेटरों ने कहा कि उन्होंने रूसी उपकरणों की खरीद और निरंतर भारतीय एकीकरण के संबंध में प्रशासन की चिंता को साझा किया लेकिन भारत को सैन्य हथियार खरीदने के लिए छूट देना अमेरिका के हित में है और हम भारत के साथ रचनात्मक तरीके से जुड़कर रूसी मिसाइल प्रणाली की खरीद के विकल्पों का पुरजोर समर्थन करते रहेंगे.

भारत का रूस से हथियार खरीदने का इतिहास

अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिया था कि रूसी S-400 सिस्टम CAATSA प्रतिबंधों को ट्रिगर कर सकते हैं. अमेरिकी सीनेटर भी मानते हैं कि भारत ने रूसी सैन्य उपकरणों की खरीद को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. हालांकि इसका सोवियत संघ और बाद में रूस से हथियार खरीदने का एक लंबा इतिहास रहा है. 2018 में भारत औपचारिक रूप से रूसी एस-400 ट्रायम्फ एयर-डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए सहमत हुआ. दो साल पहले रूस के साथ एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद दोनों के बीच ये सहमति बनी है.

अमेरिकी सीनेटरों का कहना है कि जब उन्होंने रूसी उपकरणों की खरीद और निरंतर भारतीय एकीकरण के संबंध में प्रशासन की चिंता को साझा किया तो नई दिल्ली और मॉस्को के बीच इस तरह के लेनदेन में गिरावट आ रही थी. सीनेटरों ने राष्ट्रपति से कहा कि हम आपको S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की योजनाबद्ध खरीद के लिए भारत को CAATSA छूट देने के लिए दृढ़ता से आग्रह करते हैं. अमेरिका के सीनेटरों मार्क वार्नर और जॉन कॉर्निन ये मानते हैं ऐसे मामलों में छूट देने से अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को बढ़ावा मिलेगा.

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