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सिंगापुर की अदालत ने भारतवंशी को सुनाई मौत की सज़ा, ड्रग्स की तस्करी का आरोप

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<p style="text-align: justify;"><strong>Drugs News:</strong> सिंगापुर की एक अदालत ने मादक पदार्थ यानी ड्रग्स की तस्करी करने के जुर्म में मलेशिया के 39 साल के भारतवंशी शख्स को मौत की सजा सुनाई है. इससे कुछ दिन पहले मलेशिया के एक अन्य 33 साल के भारतवंश नागेंद्रन के. धर्मलिंगम ड्रग्स की तस्करी के मामले में मृत्युदंड के खिलाफ अपील हार गया था. कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के कारण उसकी सजा पर अमल को कुछ दिन के लिए रोक दिया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>शख्स के पास से मिली थी 6.3 किलोग्राम दानेदार ड्रग्स</strong></p>
<p style="text-align: justify;">सिंगापुर की हाई कोर्ट ने पिछले बुधवार को सफाई पर्यवेक्षक मुनुसामी रामरमूरत को दोषी करार दिया था. खबरों के मुताबिक, उसे हार्बरफ्रंट एवेन्यू के किनारे खड़ी मोटरसाइकिल में ड्रग्स के बैग के साथ पकड़ा गया था. उसके पास से 6.3 किलोग्राम दानेदार ड्रग्स मिलाी थी. जांच के बाद उसमें 57.54 ग्राम हेरोइन की जानकारी मिली.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आरोपी की सभी दलील खारिज</strong></p>
<p style="text-align: justify;">न्यायमूर्ति ओड्रे लिम का आदेश सोमवार को जारी किया गया, जिसमें सजा को लेकर कारणों का उल्लेख किया गया है. न्यायाधीश ने आरोपी की इस दलील पर विश्वास नहीं किया कि उसे लगा कि बैग में चोरी के मोबाइल फोन हैं. न्यायाधीश ने उसके इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उसने एक अन्य व्यक्ति को अपनी मोटरसाइकिल के पिछले बॉक्स में बैग रखने की अनुमति दी थी ताकि बाद में कोई दूसरा व्यक्ति इसे ले सके.</p>
<p style="text-align: justify;">सिंगापुर के कानून के तहत 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन मिलने पर मौत की सजा का प्रावधान है. न्यायाधीश ने जांच अधिकारी की भूमिका पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की और कहा कि उन्होंने लोक अभियोजक को सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो (सीएलबी) के समक्ष मामला उठाने के लिए कहा है. न्यायाधीश ने कहा कि मुनुसामी के मामले में जांच अधिकारी ने कोई भेदभाव नहीं किया, लेकिन दूसरे मामलों में ऐसा ना हुआ हो यह नहीं कहा जा सकता. सिंगापुर में 14 साल तक काम कर चुके मुनुसामी को 26 जनवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था.</p>
<h4 style="text-align: justify;">यह भी पढ़ें-</h4>
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