अंतरराष्ट्रीय

डेल्टा से कम खतरनाक हो सकता है ओमिक्रोन? अमेरिका और सिंगापुर की है अलग-अलग राय

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

Which one is Severe, Omicron Or Delta: कोरोना वायरस संक्रमण का नया वेरिएंट ओमिक्रोन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैल रहा है. इसके केस बढ़ते जा रहे हैं. भारत और अमेरिका सहित दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में यह फैल चुका है. इसे लेकर आशंका जताई जा रही थी कि यह कोरोना का अभी तक का सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिएंट हो सकता है. इसके डेल्टा से भी खतरनाक होने की आशंका जताई गई थी. लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि ओमिक्रोन, डेल्टा से कम खतरनाक हो सकता है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथोनी फौसी ने निष्कर्ष निकालने से पहले अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता पर जोर तो दिया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि इसमें (ओमिक्रोन) बहुत गंभीरता नजर नहीं आती है.

डॉ एंथोनी फौसी ने कहा, “अभी तक ऐसा नहीं लगता कि इसमें बहुत गंभीरता है. लेकिन, हकीकत में हमें यह तय करने से पहले सावधान रहना होगा कि यह कम गंभीर है या डेल्टा की तुलना में किसी भी गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है.” उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन सरकार अब यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रही है, जिसे ओमिक्रोन वेरिएंट के पता चलने के बाद सुरक्षा के लिहाज से लागू किया गया था. हालांकि, फौसी ने यह नहीं बताया कि बैन कब हटाया जाएगा लेकिन उन्होंने आशा जताई कि प्रतिबंध “काफी उचित” अवधि में हटा लिया जाएगा.

कुछ और ही कहता है सिंगापुर का स्वास्थ्य मंत्रालय
सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि विश्व स्तर पर शुरुआती क्लीनिकल निरीक्षण बताते हैं कि कोविड-19 का ‘ओमिक्रोन’ स्वरूप इसके अन्य स्वरूपों ‘डेल्टा’ और ‘बीटा’ के मुकाबले कहीं अधिक संक्रामक हो सकता है और इससे पुन: संक्रमण का जोखिम भी अधिक हो सकता है. ‘चैनल न्यूज एशिया’ ने मंत्रालय के हवाले से रविवार को अपनी खबर में कहा, ‘‘इसका अर्थ यह है कि कोविड-19 से उबर चुके लोगों के ओमिक्रोन स्वरूप से पुन: पीड़ित होने का जोखिम अधिक है.’’

मंत्रालय ने कहा कि बीते कई दिनों में उसने दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों की खबरें देखीं और सूचना एकत्रित करने के लिए प्रभावित देशों में विशेषज्ञों से सक्रिय संवाद किया. चैनल ने मंत्रालय के हवाले से कहा, ‘‘वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ कोविड-19 टीके प्रभावी हैं या नहीं इस बारे में अध्ययन चल रहे हैं लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसा मान रहे हैं कि कोविड-19 रोधी वर्तमान टीके ओमिक्रोन स्वरूप पर भी काम करेंगे और लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाएंगे.’’

क्या टीकों को अपडेट करने की जरूरत है?
देबोराह फुलर, यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन की ओर से बताया गया कि मूल रूप से यह एक सवाल है कि क्या एक वायरस इतना बदल गया है कि मूल टीके द्वारा बनाई गई एंटीबॉडी अब नए परिवर्तित स्वरूप को पहचानने और रोकने में सक्षम नहीं हैं? कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का उपयोग मानव कोशिकाओं की सतह पर एसीई-2 रिसेप्टर्स से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने के लिए करते हैं. सभी एमआरएनए कोविड-19 टीके मैसेंजर आरएनए के रूप में निर्देश देकर काम करते हैं, जो कोशिकाओं को स्पाइक प्रोटीन का बिना नुकसान पहुंचाने वाला संस्करण बनाने के लिए निर्देशित करते हैं. यह स्पाइक प्रोटीन तब मानव शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है.

यूनिवर्सिटी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कभी भी कोरोना वायरस के संपर्क में आता है, तो ये एंटीबॉडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन से जुड़ जाते हैं और इस प्रकार उस व्यक्ति की कोशिकाओं को संक्रमित करने की उसकी क्षमता में बाधा डालते हैं. ओमिक्रोन स्वरूप में इसके स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन का एक नया पैटर्न होता है. ये परिवर्तन वर्तमान टीकों से मिली एंटीबॉडी के स्पाइक प्रोटीन को बांधने की कुछ एंटीबॉडीज की क्षमता को बाधित कर सकते हैं, लेकिन शायद सभी की नहीं. यदि ऐसा होता है, तो टीके लोगों को ओमिक्रोन प्रकार से संक्रमित होने और उसका प्रसार करने से रोकने में कम प्रभावी हो सकते हैं.

नया टीका कैसे अलग होगा? 
यूनिवर्सिटी के अनुसार, मौजूदा एमआरएनए टीके, जैसे कि मॉडर्ना या फाइजर द्वारा बनाए गए टीके, कोरोना वायरस के मूल स्वरूप से स्पाइक प्रोटीन के लिए कोड बनाते हैं. एक नए या अद्यतन टीके में, एमआरएनए निर्देशों को ओमिक्रोन स्पाइक प्रोटीन के लिए कूट बनाना होगा. इस नए स्वरूप से मूल स्पाइक प्रोटीन के आनुवंशिक कोड की अदला-बदली करके, एक नया टीका ऐसी एंटीबॉडीज बनाएगा जो ओमिक्रोन वायरस को अधिक प्रभावी ढंग से बांधेगा और कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकेगा. जिन लोगों को पहले से ही कोविड-9 का टीका लगाया जा चुका है या जो पहले से संक्रमित हैं, उन्हें नए टीके की केवल एक अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता होगी ताकि न केवल नए स्वरूप से बल्कि अन्य स्वरूपों से भी सुरक्षा मिल सके जो अब भी मौजूद हो सकते हैं.

यदि ओमिक्रोन, डेल्टा से अधिक खतरनाक स्वरूप के रूप में उभरता है, तो जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें केवल अद्यतन टीके की 2-3 खुराक प्राप्त करने की आवश्यकता होगी. यदि डेल्टा और ओमिक्रोन दोनों मौजूद हैं, तो लोगों को वर्तमान और अद्यतन टीकों का एक मिश्रण मिलने की संभावना है.

वैज्ञानिक किसी टीके को कैसे अपडेट करते हैं? 
एक अद्यतन एमआरएनए टीका बनाने के लिए, आपको दो अवयवों की आवश्यकता होती है- एक नए प्रकार से स्पाइक प्रोटीन का जीनोम सीक्वेंसिंग और एक डीएनए टेम्पलेट, जिसका उपयोग एमआरएनए बनाने के लिए किया जाएगा. अधिकतर जीवों में, डीएनए एमआरएनए बनाने के लिए निर्देश प्रदान करता है. चूंकि शोधकर्ताओं ने ओमिक्रोन स्पाइक प्रोटीन के लिए आनुवंशिक कोड पहले ही प्रकाशित कर दिया है, इसलिए केवल स्पाइक प्रोटीन के लिए एक डीएनए टेम्प्लेट बनाना बाकी है, जिसका उपयोग नए टीकों के एमआरएनए भाग का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा.

नया टीका कब तक तैयार हो सकता है? 
एक नया एमआरएनए टीका बनाने के लिए आवश्यक डीएनए टेम्प्लेट तैयार करने में केवल तीन दिन लगते हैं. फिर प्रयोगशाला में जांच के लिए एमआरएनए टीके की पर्याप्त खुराक का उत्पादन करने में लगभग एक सप्ताह और टेस्ट ट्यूब में मानव कोशिकाओं पर प्री-क्लिनिकल ​​जांच करने के लिए छह सप्ताह का समय लगेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक नया टीका प्रभावी है. इसलिए 52 दिनों के भीतर, वैज्ञानिकों के पास एक अद्यतन एमआरएनए टीका हो सकता है जो निर्माण प्रक्रिया में शामिल करने के लिए तैयार हो और मानव क्लिनिकल परीक्षण के लिए खुराक का उत्पादन शुरू कर सके.

यह भी पढ़ें-
Omicron: दिल्ली-महाराष्ट्र समेत देश के 5 राज्यों में ओमिक्रोन विस्फोट, एक दिन में 17 नए केस, जानें मरीजों की क्या है हालत
Omicron case in Rajasthan: राजस्थान में ओमिक्रोन के 9 केस मिलने के बाद सरकार अलर्ट, जानिए क्या है नई गाइडलाइंस

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button