अंतरराष्ट्रीय

हायपरसॉनिक मिसाइल तकनीक में रूस दुनिया में सबसे आगे

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Russia Hypersonic Missiles: दुनियाभर में हथियारों की नई-नई तकनीक को लेकर चर्चा जारी है. इस बीच रूस का दावा है कि वो हायपरसॉनिक मिसाइल तकनीक के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस हायपरसॉनिक मिसाइल तकनीक में दुनिया में सबसे आगे है. उनका मानना है कि रूस ने हथियारों की नई तकनीक के मामले में एक वैश्विक नेता के रूप में पहचान बनाई है. 

हायपरसॉनिक मिसाइल तकनीक में रूस सबसे आगे!

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दावा है कि हायपरसॉनिक तकनीक में कोई भी देश उनका मुकाबला नहीं कर सकता है. हालांकि राष्ट्रपति पुतिन ने ये भी कहा कि रूस और अमेरिका में लगभग समानता है लेकिन उन्नत विकास में रूस फिर भी एक ग्लोबल लीडर है. रूस न्यू हिस्ट्री नामक डॉक्यूमेंट्री के हिस्से में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस अपने पारंपरिक हथियारों को अपग्रेड करने में भी नंबर एक पर है. राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य में दूसरी विश्व शक्तियों के पास इसी तरह की हायपरसॉनिक हथियार तकनीक होगी.

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हायपरसॉनिक क्रूज मिसाइल की ताकत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने कहा था कि रूस की जिरकोन हायपरसॉनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण पूरा होने वाला है और नौसेना को डिलीवरी 2022 में शुरू होगी. हायपरसॉनिक मिसाइलों की गति काफी तेज होती है. वे ऊपरी वायुमंडल में ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक या लगभग 6,200 किमी प्रति घंटे (3,850 मील प्रति घंटे) की रफ्तार से दूरी तय कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें ट्रैक करना और अवरोध पहुंचाना काफी मुश्किल है.

रूस और अमेरिका का सैन्य खर्च

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस का सैन्य खर्च अमेरिका की तुलना में बहुत कम है. विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, रूस ने 2020 में सैन्य खर्च पर 62 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने 778 अरब डॉलर खर्च किए हैं. अमेरिकी वायु सेना के सचिव फ्रैंक केंडल ने पिछले महीने बताया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन सबसे घातक हायपरसॉनिक हथियार विकसित करने के लिए हथियारों की होड़ में लगे हुए थे.

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