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हार्वर्ड के प्रोफेसर Charles Lieber दोषी करार, चीन से रिश्ते को लेकर ये हैं आरोप

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Harvard Professor News: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के एक प्रोफेसर को चीन से रिश्ते छुपाने पर दोषी ठहराया गया है. हार्वड के प्रोफेसर चार्ल्स लिबर (Charles Lieber) पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी अनुसंधान के भीतर चीन संचालित भर्ती कार्यक्रम से जुड़े होने की बात छिपाई थी. बोस्टन (Boston) में फेडरल जूरी (Federal Jury) ने प्रसिद्ध नैनोसाइंटिस्ट (Renowned Nanoscientist) और हार्वर्ड के रसायन विज्ञान विभाग (Chemistry Department) के पूर्व अध्यक्ष को अधिकारियों को गलत बयान देने, झूठे कर रिटर्न (False Tax Returns) दाखिल करने और एक चीनी बैंक खाते की रिपोर्ट करने में विफल रहने का दोषी पाया. 

प्रोफेसर पर चीनी भर्ती कार्यक्रम में शामिल होने का आरोप

अभियोजकों ने आरोप लगाया कि प्रोफेसर चार्ल्स लिबर (Charles Lieber) 2011 में नोबेल पुरस्कार की तलाश में चीन में वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में रणनीतिक वैज्ञानिक (Strategic Scientist) बनने के लिए सहमत हुए और इसके माध्यम से उन्होंने टैलेंट प्रोग्राम नामक एक चीनी भर्ती अभियान में हिस्सा लिया. अभियोजकों का कहना है कि चीन उस कार्यक्रम का उपयोग विदेशी शोधकर्ताओं को देश के साथ अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करने के लिए भर्ती करने के लिए करता है. अभियोजकों का तर्क है कि भागीदारी कोई अपराध नहीं है लेकिन 62 वर्षीय प्रोफेसर चार्ल्स लिबर ने अपनी संलिप्तता के बारे में पूछताछ करने वाले अधिकारियों से झूठ बोला.

बचाव पक्ष ने क्या कहा?

करीब तीन घंटे की जूरी विचार-विमर्श और छह दिवसीय परीक्षण के बाद फैसला सुनाया गया. इस दौरान कैंसर के जूझ रहे प्रोफेसर चार्ल्स लिबर (Charles Lieber) चुपचाप बिना भाव के बैठे रहे. बचाव पक्ष के वकील मार्क मुकासी (Marc Mukasey) ने कहा कि अभियोजकों के पास आरोप साबित करने के कोई सबूत नहीं थे. उन्होंने कहा कि वो अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं और लड़ाई जारी रखेंगे.

जनवरी 2020 में हुई थी गिरफ्तारी

जनवरी 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग (US Department Of Justice) के चाइना इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में लिबर पर आरोप लगाया गया था. जिसके बाद प्रोफेसर की गिरफ्तारी की गई थी. अपनी गिरफ्तारी के बाद एफबीआई एजेंटों (FBI Agent) के साथ पूछताछ के दौरान लिबर ने कहा था कि उन्होंने मूर्खतापूर्ण काम किया जब वे वुहान यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े. उनका मानना था कि ऐसा करने से उनकी मान्यता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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