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Ukraine सीमा के पास मिसाइल-तोपों समेत कई आधुनिक हथियारों का जमावड़ा और बढ़ा रहा है रूस

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Ukraine-Russia Standoff: यूक्रेन संकट चरम पर पहुंच गया है. यूक्रेन (Ukraine) को लेकर तनाव की स्थिति के बीच पूरी दुनिया में इसका असर पड़ा है. जंग छिड़ने की आशंका के बीच कई देश अपने नागरिकों को यूक्रेन से बाहर निकाल रहे हैं तो वहीं विश्व बैंक जैसी कुछ बड़ी संस्थाएं अपने कर्मचारियों को वहां से दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने के बावजूद रूस मान नहीं रहा है. रूसी सैनिक (Russian Military) लगातार यूक्रेन की सीमा के पास जमे हुए हैं. वहीं धीरे-धीरे कई अत्याधुनिक हथियार और उपकरण यहां पर जमा किए जा रहे हैं. होवित्जर तोप, टैंक, पनडुब्बी के साथ मिसाइलों और कई दूसरे घातक हथियारों की लगातार तैनाती बढ़ाई जा रही है.

यूक्रेन के पास आधुनिक हथियारों का जमावड़ा और बढ़ा रहा है रूस

काला सागर यानी ब्लैक सी (Black Sea) में रूस ने पहले से ही कई पनडुब्बियों की तैनाती की है. मैदानी इलाके वाले हिस्सों में भी आधुनिक हथियारों के साथ सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है. अमेरिकी अधिकारी पहले से ही ये दावा करते आ रहे हैं कि यूक्रेन (Ukraine) सीमा के पास 100000 से अधिक रूसी सैनिकों (Russian Troops) का जमावड़ा है. अमेरिका (America) ने ये भी दावा किया था कि बीजिंग ओलंपिक खत्म होने से पहले ही रूस यूक्रेन पर हमला बोल सकता है. ऐसे में अमेरिका ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को जल्द से जल्द निकलने को लेकर फिर से हिदायतें दी हैं. कई दूसरे देश भी वहां लोगों को जाने से मना कर रहे हैं और वहां रह रहे अपने नागरिकों को निकलने की अपील कर रहे हैं.

यूक्रेन पर रूस के हमले की संभावना और बढ़ी

इससे पहले व्हाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सचिव कैरीन जीन-पियरे (Karine Jean-Pierre) ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि इस बात की आशंका जताई जा रही है कि रूस यूक्रेन पर कभी भी हमला कर सकता है. हालांकि उन्होंने खुफिया जानकारी को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना किया. उन्होंने कहा रूस कौन सा रास्ता चुनेगा ये साफ नहीं है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में ये साफ कर दिया था कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे. वहीं इस संकट को टालने के लिए जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश कोशिशों में लगे हुए हैं.

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