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जंग के मैदान में अकेला खड़ा यूक्रेन, अमेरिका ने क्यों पीछे खींच लिए पैर?

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Ukraine in War: रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जब ऐलान-ए-जंग किया था तब पूरी दुनिया ने ऐसे तेवर दिखाए थे कि लग रहा था, तीसरा विश्वयुद्ध होकर ही रहेगा. लेकिन कोई भी मुल्क प्रतिबंधों की परंपरा से आगे नहीं बढ़ सका. जिस NATO का नाम लेकर रूस ने यूक्रेन पर चढ़ाई की, वो भी मदद के लिए आगे नहीं आया. अब यूक्रेन को अकेले ही अपनी जंग लड़नी पड़ रही है. या यूं कहें कि धीरे-धीरे जंग में मात खानी पड़ रही है. 

यूक्रेन के राष्ट्रपति को सताने लगा जान का डर
जंग के मैदान में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. यूक्रेनी सेना के हर मोर्चे को रूसी टैंक कुचलते हुए आगे बढ़ रहे हैं. अब खुद यूक्रेन के राष्ट्रपति को भी अपनी जान का खतरा सताने लगा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि, “मुझे पता चला है कि मैं उनका टारगेट नंबर 1 हूं और मेरा परिवार टारगेट नंबर दो है.” मुसीबत की इस घड़ी में यूक्रेन को सबसे बड़ी मदद की आस अमेरिका से थी. लेकिन सुपर पावर ने भी खुद को यूक्रेन की सीमा के बाहर तक ही समेट लिया. रूस के हमले के ठीक बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को खूब लानत, मलालत भेजी. लेकिन आखिर में ये कहकर यूक्रेन की आस पर पानी फेर दिया, कि वो रूस के खिलाफ जंग में नहीं उतरेंगे.

अमेरिका सर्वशक्तिमान है, उसके पास जल, थल और नभ में विशालकाय चतुरंगिनी सेना है, जो मिनटों में यूक्रेन युद्ध के नतीजे बदल सकती है. तो सवाल ये कि आखिर क्यों बाइडेन ने पैर पीछे खींच लिए हैं. इस सवाल के कई जवाब हैं. 

  • सबसे बड़ा कारण ये माना जा रहा है कि अमेरिका, रूस से आमने-सामने की जंग नहीं चाहता.
  • अफगानिस्तान में अमेरिका की जो फजीहत हुई, वैसी नौबत फिर ना आए इसलिए भी अमेरिका आगे नहीं आ रहा.
  • कोरोना ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई है, ऐसे में यूक्रेन का युद्ध अपने सिर लेकर अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को और कमजोर नहीं करना चाहता. 
  • अमेरिका और यूक्रेन की सुरक्षा संधि भी नहीं है, इसलिए अमेरिका युद्ध में नहीं आना चाहता.
  • यूक्रेन की वजह से अमेरिका के हित सीधे प्रभावित नहीं हो रहे इसलिए भी बाइडेन युद्ध से दूरी बनाए हुए हैं.
  • ये भी मुमकिन है कि NATO देश भी यूक्रेन की लड़ाई में नहीं कूदना चाहते, इसलिए अमेरिका आगे नहीं आया. 

कुल मिलाकर सारे हालात रूस के पक्ष में हैं और पुतिन को फ्री हैंड मिल गया है. नतीजा ये हुआ है कि युद्ध के दूसरे ही दिन रूसी सेना ने य्रूक्रेन के रणनीतिक ठिकानों को तबाह कर दिया है. रूसी मिसाइलों की मार से इमारतें जमींदोज हो गई हैं और यूक्रेन के आसमान में रूस के लड़ाकू विमान मौत का परवाना बनकर गरज रहे हैं.

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