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क्या पुतिन फिर दुनिया में फहराना चाहते हैं ‘लाल झंडा ‘, जानिये चीन से है क्या है खास कनेक्शन

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Russia-Ukraine War Update: रूस के टैंक पर जिस लाल झंडे को आज यूक्रेन की सड़कों पर देखा गया, वो सिर्फ पुतिन के USSR वाले सपने का प्रतीक नहीं है, बल्कि ये झंडा दुनिया की कूटनीति में तेजी से बदलते समीकरणों का भी संकेत दे रहा है. यूक्रेन पर हमले के बाद जहां सारी दुनिया रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान कर रही है, कुछ देश बीच बचाव में जुटे हैं, तो वहीं चीन जंग के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहा है, रुस के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए चीन ने प्रतिबंधों का भी विरोध किया है. जाहिर है रूस और चीन एक डोर में बंध रहे है और ये डोर है वो लाल झंडा, जिसे रूस के टैंक और यूक्रेन की सड़कों पर देखा गया. 

यूक्रेन में दाखिल होते रूस के टैंकों पर लहराता झंडा रूस का नहीं बल्कि उस USSR का है, जो कभी दुनिया में कम्यूनिज्म का किंग था, दूसरी ओऱ है चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा, ये दोनों ही झंडे समान हैं. एक तरफ पुतिन कम्यूनिस्ट USSR का ख्वाब देख रहे है तो दूसरी ओर चीन भी इस ख्वाब से जुड़ा हुआ है 
और ये नजदीकी एक दिन में नहीं आई, दोनों 2014 से एक दूसरे की ओर कदम बढ़ाना शुरु कर चुके थे. 

2014 में चीन और रूस और करीब आ गए थे

2014 में जब क्रीमिया अलग किया गया तो अमेरिका ने रूस को G8 से बाहर कर दिया था तब चीन और रूस और करीब आ गए. अभी बाइडेन का चीन और रूस के साथ विवाद है तो चीन और रूस साथ आ गए हैं. अब चीन जहां जाएगा वहा पाकिस्तान जाएगा और ईरान भी चीन और रूस के साथ जाएगा. 

यूक्रेन में ये चीख पुकार रुस के हमले की वजह से है, जिसे रोकने के लिए प्रतिबंध सबसे कारगर रास्ता है, लेकिन चीन लगातार इस रास्ता का ब्रेकर बन रहा है, वो प्रतिबंध को ही गलत नहीं बता रहा, बल्कि जंग के जिम्मेदार अमेरिका को ठहरा रहा है. चीन का ये रुख इस बात का सबूत है कि वो रूस के साथ खड़ा है. क्योंकि चालाक चीन यूक्रेन पर हुए हमले की आड़ में अपनी बिसात बिछा रहा है और वो एक तीर से कई शिकार करने का प्लान तैयार कर चुका है. अब सवाल ये है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है. इस रिश्ते से चीन अपने कितने मंसूबों को सींच रहा है और इस रिश्ते की डोर कहां बंधी है. 

रिश्ते की बुनियाद अमेरिका और यूरोप के विरोध पर टिकी

दरअसल इस रिश्ते की बुनियाद अमेरिका और यूरोप के विरोध पर टिकी है,  दोनों ही दुनिया में दबदबा बढ़ाना चाहते हैं, और अमेरिका उनके रास्ते का रोड़ा है, इसलिए अब मौके की नजाकत को देखते हुए दोनों साथ आ रहे हैं. बता दें कि रूस की GDP अमेरिका से कम है लेकिन न्यूक्लियर हथियार के मामले में अमेरिका के बराबर है रूस. दुनिया का ये बाइपोलर ऑर्डर ये हो सकता है कि चीन और रूस एक तरफ होगा और अमेरिका दूसरी तरफ.

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