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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चल रहा भारत का कूटनीतिज्ञ इम्तिहान, इंडिया के सामने हैं ये 5 उलझन

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Russia Ukraine Conflict: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच युद्ध तेज होता जा रहा है. यूक्रेन दूसरे देशों से मदद मांग रहा है. अमेरिका समेत कई दूसरे देश इस मामले में भारत के रुख का इंतजार कर रहे थे. इन सबके बीच शनिवार (26 फरवरी 2022) को वह पल आया जब भारत को रूस और अमेरिका में से किसी एक को चुनना था. दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी. इसमें भारत को भी वोट देना था. भारत ने बीच का रास्ता निकाला और युद्ध की तो निंदा की, लेकिन वोटिंग में शामिल नहीं हुआ. शायद भारत के लिए इसके अलावा दूसरा विकल्प था भी नहीं. भारत के सामने इस समय कई तरह की उलझनें हैं और भारत का कूटनीतिज्ञ इम्तिहान चल रहा है. हमने विदेश मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा से बात की और जाना कि आखिर भारत के सामने अभी 5 बड़ी उलझन क्या है.

1. रूस को लेकर

इस मामले में भारत के सामने सबसे बड़ी उलझन रूस को लेकर है. रूस हमारा बहुत पुराना दोस्त रहा है. कई बड़े मौकों पर उसने भारत का साथ दिया है. उससे हमारे संबंध इतने भर ही नहीं, बल्कि हथियार से लेकर व्यापारिक संबंध भी हैं. अगर भारत रूस के खिलाफ कुछ बोलता है तो वर्षों पुरानी ये दोस्ती टूट सकती है और भारत को इसका नुकसान हर तरह से हो सकता है. यही वजह है कि भारत तटस्थ बना हुआ है.

2. अमेरिका को लेकर

भारत के सामने दूसरी सबसे बड़ी उलझन अमेरिका को लेकर है. अमेरिका से पिछले 10-15 सालों में हमारे संबंध काफी अच्छे हुए हैं. अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है. वहीं चीन से हमारा सीमा विवाद समय-समय पर होता रहता है. चीन के खतरे को देखते हुए अमेरिका से बेहतर संबंध भारत के काम आ सकता है. ऐसे में उससे संबंध बनाए रखना भी कहीं न कहीं जरूरी और मजबूरी दोनों ही है. यूक्रेन पर रूस के हमले पर भारत का तटस्थ रवैया अमेरिका को रास नहीं आ रहा है. गुरुवार को जब पत्रकारों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से इस पर पूछा, तो उन्होंने कम शब्दों में इशारा किया कि अमेरिका भारत के रुख से ज्यादा संतुष्ट नहीं है. इन सबसे भी भारत उलझन में है.

3. रक्षा से जुड़ी डील को लेकर

भारत के सामने तीसरी उलझन रक्षा सौदों से जुड़ी डील को लेकर भी है. भारत ने रूस के साथ हथियारों की कई डील कर रखी है. इसमें सबसे अहम एस 400 डिफेंस मिसाइल है, जिसमें अभी तक एक चौथाई मिसाइल की ही सप्लाई हो पाई है. यूक्रेन पर हमले के बाद से दुनियाभर के देश उस पर हर तरह की पाबंदिया लगा रहे हैं. इसे न मानने वाले देशों के खिलाफ भी कार्रवाई की बात कही जा रही है. ऐसे में भारत के मन में ये सवाल भी होगा कि इन रक्षा सौदों का क्या होगा, कहीं बात बिगड़ेगी तो नहीं.

4. यूक्रेन को लेकर

वैसे तो भारत के यूक्रेन से संबंध पुराने नहीं हैं. अक्सर यूक्रेन बड़े मौकों पर भारत के खिलाफ गया है, लेकिन पिछले कुछ साल में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बेहतर हुए हैं. रूस की तरह यूक्रेन से भी भारत बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर्स इम्पोर्ट करता है. मौजूदा हालात के बाद यह व्यापार तो प्रभावित होगा ही. इसके अलावा दुनिया के अधिकतर देशों में यूक्रेन में आम लोगों की हत्या को लेकर विरोध हो रहा है. हर कोई मानवीयता के नाते ताकतवर देशों से दखल की मांग कर रहा है, लेकिन इस तरह की तटस्था से भारत की छवि दुनिया में खराब न हो, कहीं न कहीं यह उलझन भी होगी.

5. अर्थव्यवस्था को लेकर

भारत के सामने यह भी बड़ी उलझन है. वैसे तो भारत रूस से ऑयल के मामले में निर्भर नहीं है, लेकिन अधिकतर यूरोपीय देश रूस पर ही निर्भर हैं. युद्ध लंबा चला तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती जाएंगी. इससे हर चीज महंगी होगी. अर्थव्यवस्था चरमराएगी. भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना से पहले तेजी से बढ़ रही थी, लेकिन कोरोना ने काफी पीछे धकेल दिया. अब अगर युद्ध लंबा चलता है तो अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.

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