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‘परमाणु कैपिटल’ यूक्रेन में जंग कितनी खतरनाक है, पुतिन क्यों दे रहे हैं परमाणु धमकी?

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Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर रूसी सेना के हमलों का आज दसवां दिन है. कल जंग के नौंवे दिन की शुरुआत एक ऐसी खबर से हुई, जिससे पूरी दुनिया दहल गई. खबर आई कि यूक्रेन के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर रूसी सेनाओं ने कब्जा कर लिया है. परमाणु संयंत्र में आग की लपटें औऱ गोलीबारी की तस्वीरें भी सामने आईं, इससे पूरी दुनिया रेडिएशन के खतरे से दहल उठी. हांलाकि जानकारों के मुताबिक अभी तक परमाणु प्लांट से रेडिएशन की खबर नहीं है. इसके बावजूद रूस-यूक्रेन जंग ने एक बड़ा परमाणु खतरा पैदा कर दिया है. अब ये मामला संयुक्त राष्ट्र पहुंच गया है.

यूक्रेन की राजधानी कीव की रूसी सेना चौतरफा घेराबंदी कर चुकी है. कीव पर कब्जे की लड़ाई जारी है और यूक्रेन के दर्जनों शहरों का यही हाल है, जहां बम और मिसाइलों की बारिश हो रही है.

सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर हमला

यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र जैपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट यूक्रेन के एनर्होदार शहर में है. जंग के नौंवे दिन इस न्यूक्लियर प्लांट पर रूसी सेनाओं ने धावा बोला. इस हमले के बाद प्लांट के एक हिस्से में आग लग गई, जिससे पूरी दुनिया कई घंटों तक परमाणु खतरे के साए में आ गई. ये खतरा इतना बड़ा था कि यूक्रेन के राष्ट्रपति को खुद अलार्म बजाना पड़ा.

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में ये दूसरा मौका था, जब दुनिया पर परमाणु संकट खड़ा हुआ. इससे पहले जब रूसी सेनाओं ने चर्नोबिल में हमला बोला, तब भी परमाणु खतरे के बादल छाने लगे थे, लेकिन जैपोरिजिया पर हमले से पैदा हुआ खतरा, चर्नोबिल के मुकाबले 6 गुना ज्यादा था और ये पूरे यूरोप को खत्म करने की ताकत रखता था.

धमाका होता तो मिट जाता यूरोप!

रूस के हमले में जैपोरेजिया प्लांट के जिस हिस्से में आग लगी वो ट्रेनिंग वाला इलाका था. कुछ ही घंटों में इस आग पर काबू भी पा लिया गया, लेकिन इस दौरान ऐसी दहशत फैली कि दुनिया के सभी देश अलर्ट मोड में आ गए. फौरन रेडिएशन लीक की जांच हुई और फिर अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक एनर्जी की ओर से बयान जारी करना पड़ा.

आग बुझने से खत्म हुआ खतरा?

रूस और यूक्रेन की जंग शुरु होते ही दुनिया परमाणु खतरे के साए में आ गई, क्योंकि पहले तो रूस के राष्ट्रपति ने अपनी परमाणु कमांड को एक्टिव होने का आर्डर दिया और फिर रूस के विदेश मंत्री ने परमाणु धमकी देने में देर नहीं की.

रूस की इन धमकियों और यूक्रेन में लगातार परमाणु संयंत्रों पर हो रहे हमले ने यूक्रेन संकट के परमाणु संकट में बदलने का खतरा बढ़ा दिया और ये खतरा इतना बड़ा है कि पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ सकती है. रूस एक परमाणु शक्ति है, लेकिन यूक्रेन परमाणु संपन्न देश नहीं है. इसके बावजूद यूक्रेन हमले से दुनिया दोहरे परमाणु खतरे में घिर गई है. पहली वजह तो रूस का परमाणु जखीरा है, लेकिन दूसरी वजह है यूक्रेन का ताना बाना.

यूक्रेन में परमाणु खतरा ज्यादा क्यों?

  • सोवियत संघ के दौर में यूक्रेन ‘परमाणु राजधानी’ थी.
  • सोवियत संघ के परमाणु हथियारों का अड्डा यूक्रेन था.
  • यूक्रेन में सोवियत संघ ने जमकर परमाणु बिजली केंद्र बनाए..
  • विघटन के बाद परमाणु हथियार यूक्रेन से रूस गए.
  • परमाणु ऊर्जा केंद्र यूक्रेन के हिस्से में आए.

सोवियत संघ ने यूक्रेन में 50 से ज्याद परमाणु बिजली केंद्र और परमाणु रिसर्च सेंटर बनाए थे. इसमें बहुत से केंद्र बंद हो चुके हैं. इसके बावजूद यूक्रेन में अब भी बड़ी संख्या में एटॉमिक पॉवर प्लांट मौजूद है.

यूक्रेन में परमाणु ऊर्जा केंद्र

  • रिवन 4
  • खमेलनित्स्की 2
  • दक्षिण यूक्रेन 3
  • जैपोरिजिया 6
  • कुल 15

यूक्रेन के ये 15 एटॉमिक सेंटर चालू हालत में है, जिनसे यूक्रेन की 54 फीसदी बिजली पैदा होती है. लेकिन इसके साथ यूक्रेन में चर्नोबिल समेत दर्जनों न्यूक्लियर साइट्स हैं, जो बंद हो चुकी है, लेकिन यहां भी भारी मात्रा में न्यूक्लियर कचरा मौजूद है, जिसमें जंग के कारण कभी भी मौत का धमाका हो सकता है.

परमाणु कैपिटलमें जंग कितनी खतरनाक?

यूक्रेन कभी दुनिया का न्यूक्लियल कैपिटल था, इस जमीन पर युद्ध से परमाणु लीकेजा का कितना खतरा है. यूक्रेन में मौजूद चालू और बंद पड़े परमाणु केंद्र जंग की वजह से बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं, क्योंकि जंग के दौरान हो रही बमबारी या मिसाइल ने अगर किसी परमाणु संयंत्र में धमाका कर दिया तो पूरी दुनिया को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन खतरा के सबब इन परमाणु केंद्रों के साथ साथ परमाणु शक्ति संपन्न रूस भी है, जो लगातार परमाणु युद्ध की चेतावनी दे रहा है.

हांलाकि आज के दौर में किसी देश का परमाणु बम से हमला करना लगभग नामुमकिन है, लेकिन पुतिन बार बार परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं, हांलाकि एक्सपर्ट का मानना है कि इसके पीछे उनकी कूटनीतिक चाल छिपी हुई है.

क्यों पुतिन दे रहे परमाणु धमकी

पुतिन पश्चिमी देशों को डराकर अपनी बात मनवाना चाहते हैं और वो E2D डॉक्टराइन पर काम कर रहे हैं. E2D का मतलब Escalate to Descalete यानी दुश्मन को समझौते पर मजबूर करना. इसके साथ ही वो परमाणु धमकियों से यूक्रेन पर हथियार डालने का दबाव भी डालने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही ये NATO और अमेरिका को दबाव में रखने की रणनीति है.

पुतिन भले ही परमाणु बम को दबाव बनाने का हथियार बना रहे हो और वो भले ही परमाणु बम का इस्तेमाल न करें, लेकिन यूक्रेन जंग से दुनिया पर मंडरा रहा परमाणु खतरा बेहद गंभीर है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

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