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खतरे में यूक्रेन के एटॉमिक एनर्जी प्लांट, पुतिन की रणनीति मानव के लिए कितनी घातक?

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यूक्रेन में जेपोरिजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant) के पास रूसी गोलाबारी की हालिया खबरों के बाद दुनियाभर की चिंता बढ़ गई है. रूसी हमले में प्लांट के कई सुरक्षाकर्मी जख्मी हो गए. इस प्लांट में छह बड़े परमाणु ऊर्जा रिएक्टर के साथ साइट पर अहम मात्रा में परमाणु सामग्री है. ये चेरनोबिल प्लांट के समान रिएक्टर नहीं है और ये अधिक सुरक्षित डिजाइन के हैं. हमले के बाद जिस इमारत आग लगी वह छह रिएक्टरों के ब्लॉक से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित थी.

इसमें कोई परमाणु सामग्री नहीं थी, क्योंकि इसका उपयोग केवल ट्रेनिंग और एडमिन के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था. हमले के बाद रेडिएशन के स्तर में कोई बढ़ोत्तरी नहीं दर्ज की गई है. रूसी सेना ने इस बिजली संयंत्र के बड़े हिस्से पर प्रभावी रूप से नियंत्रण कर लिया. सीसीटीवी फुटेज से ऐसा लग रहा है कि यह कोई अचानक हमला नहीं बल्कि जानबूझकर किया गया हमला था. रूसी सेना (Russian Soldiers) संदेश भेज रही है कि वो किसी भी समय प्लांट पर हमला कर सकते हैं लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं करने का विकल्प चुन रहे हैं. इमारत में लगी आग को भले ही जल्दी बुझा दिया गया हो लेकिन आगे क्या हो सकता है इसका खतरा पहले से कहीं ज्यादा बड़ा है.

एटॉमिक प्लांट पर हमला बेहद ही जोखिम भरी रणनीति

विशेषज्ञों की माने तो एटॉमिक पावर प्लांट (Atomic Power Plant) पर हमला करना बेहद ही जोखिम भरी रणनीति है. इसके नकारात्मक परिणाम किसी संभावित लाभ से कहीं अधिक हैं. हालांकि व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे इसका आकलन करना थोड़ा मुश्किल है. हमले के वक्त 6 रिएक्टरों में से केवल एक ही काम कर रहा था. अन्य सभी यूनिट या तो रखरखाव के लिए या कम-शक्ति स्टैंडबाय स्थिति में पहले से ही बंद थीं. इस प्रकार असामान्य परिस्थितयों में प्लांट कुछ हद तक सामान्य रूप से काम कर रहा है. दुर्भाग्य से यूक्रेन के एटॉमिक एनर्जी प्लांट खतरे में हैं. यहां तक ​​कि परमाणु रिएक्टर को बंद करने से भी यह तुरंत सुरक्षित नहीं हो जाता.

एक बार जब परमाणु ईंधन को एक रिएक्टर में रखा जाता है, तो यह शटडाउन के बाद भी अपनी गर्मी पैदा करना जारी रखता है. पुराने रिएक्टर, जैसे कि यूक्रेन में, ईंधन को सुरक्षित स्थिति में बनाए रखने के लिए सक्रिय उपायों की जरुरत है. बंद होने के बाद भी पानी को भंडारण पूल और रिएक्टर में परिचालित किया जाना चाहिए. जिसका अर्थ है कि बिजली के सोर्स की जरुरत होती है साथ ही कर्मचारियों को प्लांट की निगरानी और प्रबंधन के लिए भी रखा जाता है.

परमाणु ऊर्जा प्लांट पर हमला अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन

एक्सपर्ट की मानें तो एक बार परमाणु प्लांट बंद हो जाने के बाद इसे कई दिनों तक फिर से शुरू नहीं किया जा सकता है. प्लांट को बंद करने से यह सुरक्षा कार्यों को बनाए रखने के लिए संभावित रूप से अविश्वसनीय शक्ति के स्रोत पर निर्भर हो जाएगा. ऐसा होने पर, यूनिट 4 को कम बिजली की स्थिति में चालू रखना कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है. परमाणु ऊर्जा प्लांट पर किसी भी तरह का हमला अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का एक बड़ा उल्लंघन है. हालांकि हमला और भी भयानक हो सकता था. जिसके बाद रेडियो एक्टिव पदार्थ के लीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती.

रेडियोएक्टिव पदार्थ लीक होने पर भूमि और वॉटर सप्लाई का विशाल क्षेत्र प्रदूषित हो सकता था. इस तरह की घटना के बाद इसका प्रभाव परमाणु रिएक्टर तक ही सीमित नहीं रहता है. रॉस पील, रिसर्च एंड नॉलेज ट्रांसफर मैनेजर, किंग्स कॉलेज लंदन ने चर्चा में कहा है कि अगर प्रशासनिक भवन को टारगेट करने का रूस का निर्णय वास्तव में जानबूझकर किया गया था तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि इसका मतलब है कि वे रिएक्टरों को टारगेट नहीं करेंगे. ऐसा लगता है कि रूस के विशेष सैन्य अभियान के योजनाकार अहम राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के एक हिस्से के रूप में प्लांट पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे.

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