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मैटरनिटी हॉस्पिटल पर रूस ने बरसाए बम, अब हुई चौतरफा आलोचना

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Blast on Maternity Hospital: यूक्रेन के Mariupol में मैटरनिटी हॉस्पिटल पर रूसी बमबारी को लेकर दुनियाभर में रूस की आलोचना हो रही है. यूक्रेन इसे रूसी बर्बरता के नमूने के तौर पर प्रचारित  कर रहा है. वहीं रूस की दलील है कि अस्पताल की इमारत मरीजों से खाली थे और तथाकथित नाज़ी संगठन आज़ोव बटालियन का घर बन चुकी थी. इसीलिए उसे निशाना बनाया गया. 

हालांकि दोनों तरफ के दावों की बहस से अलग एक सच यह भी है कि रूसी सैनिक कार्रवाई के बीच सबसे ज़्यादा खौफ यूक्रेन के मैटरनिटी अस्पतालों में नज़र आता है. जहां गर्भवती महिलाएं बच्चों को जन्म देने के लिए आती हैं. जहां नवजात बच्चों को चिकित्सा सुविधा दी जाती है. युद्ध का मैदान बन चुके युक्रेन की राजधानी कीव के सबसे बड़े अस्पताल कीव रीजनल मैटरनिटी अस्पताल में एबीपी न्यूज़ की टीम ने जायजा लिया तो तस्वीर काफी डरावनी और मुश्किल नज़र आई. इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को अपनी क़ई सुविधाओं और इंतजामों को उस बेसमेंट में शिफ्ट करने पड़ा है जहां आम तौर कबाड़ रखा जाता है. गलियारे में पलंग डाले गए हैं तो साथ ही बेसमेंट में ही डिलीवरी के लिए भी व्यवस्था की गई गई है.

अलर्ट के वक्त एलेवेटर का इस्तेमाल नहीं कर सकते

डॉक्टर आंद्रेई बताते है कि जब भी एयर रेड अलर्ट के सायरन बजते हैं तो अस्पताल के छठे फ्लोर पर मौजूद मैटरनिटी रूम और वार्ड से गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को बेसमेंट में पहुंचाया जाता है. वहीं रखा जाता है जबतक सबकुछ ठीक होने का सन्देश न आ जाए. अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर आर्टीमीज़ बताते हैं कि क़ई बार एक दिन में पाँच से छह बार यह कवायद करनी होती है. अलर्ट के वक्त एलेवेटर का इस्तेमाल नहीं कर सकते. सो सीढ़ियों से ही आना जाना पड़ता है. बीती रात ही क़ई बार सायरन बजे.

डॉ आर्टीमीज़ खिड़की से बाहर उठते धुंए की कतार दिखाते हुए कहते हैं कि लड़ाई चल रही है. हमारे सैनिक अपना काम कर रहे हैं और हम अपना. इस संकट के चलते अस्पताल ने अपने सबसे अबोध और कमज़ोर मरीजों को बेसमेंट में ही शिफ्ट कर दिया है. एक कमरे को मेकशिफ्ट आईसीयू बनाया गया है. ऑक्सीजन स्पोर्ट और गहन चिकित्सा की ज़रूरत वाले 7 बच्चे हर वक्त इसी बेसमेंट में ही रहते हैं. 

अस्पताल की प्रमुख डॉ नतालिया बताती हैं कि इतने छोटे बच्चों को हम बार-बार एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट नहीं कर सकते. सो उन्हें बेसमेंट में ही रख चिकित्सा सुविधा दी जा रही है. हर दिन 15-20 महिलाएं आ रही हैं डिलीवरी के लिए आ रही हैं.

आपातकाल में अस्पताल पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं

हालाँकि किले में बदल चुके कीव शहर में किसी आपातकाल में अस्पताल पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है. जगह-जगह चेकिंग है, बैरियर हैं , सड़कों पर रूसी सेना का रास्ता रोकने के लिए सड़क पर आमने-सामने ट्राम तक लगा दी गई हैं. ऐसे में आम वाहनों के साथ साथ एम्बुलेंस का रास्ता भी मुश्किल हो जाता है. युद्ध काल में आपने बच्चे के सुरक्षित जन्म के लिए अस्पताल में आई एन कहती हैं कि जब भी धमाकों की आवाज़ आती है तो डर लगता है. अपने से ज़्यादा अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए. उम्मीद यही है कि युद्ध जल्दी खत्म हो और बच्चों को एक सुरक्षित-खुशहाल ज़िंदगी मिल सके. बंदूक की गोलियां और बमों को चलाने वाली उंगलियां आसानी से ट्रिगर दबा देती हैं. लेकिन जान लेने से कहीं मुश्किल है हर ज़िंदगी को बचाने की जंग.

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