अंतरराष्ट्रीय

‘हम भारतीय नेताओं से संपर्क में’, रूस से भारत के तेल खरीदे जाने को लेकर यूएस

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पिछले महीने 24 फरवरी को रूस ने युक्रेन पर हमला कर दिया था. इस हमले का अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश रूस का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इस हमले के दवाब में पश्चिमी देशों ने रूस पर बहुत कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाये हैं. वहीं यूएस दुनिया के अन्य देशों से भी रूस से सभी प्रकार के व्यापारिक संबंध तोड़ने का दबाव बना रहा है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ दुनियाभर को एकजुट करने का अभियान चलाया है लेकिन भारत द्वारा रूस से तेल खरीदे जाने को लेकर दोनों देशों के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है. भारत जहां रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के क्रम में है. हाल ही में उसने रूस से करीब 30 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की है.

रूस ने की थी भारत को सस्ते तेल की पेशकश

इस पर प्रतिक्रिया देते हुये अमेरिका ने कहा है कि वह इस मामले पर लगातार भारतीय नेतृत्व के संपर्क में है. व्हाइट हाऊस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा कि हम इस मामले में उनके संपर्क में है. बिल्कुल, जरूर हम इस मामले में किसी भी प्रगति पर आपको जरूर जानकारी देंगे. गौरतलब है कि रूस ने पिछले हफ्ते यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के जवाब में रूसी तेल और गैस के आयात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत और अन्य देशों को सस्ता तेल देने की पेशकश की थी.

रूस से तेल खरीद के मामले में भारत नहीं है एकलौता देश

वहीं तेल खरीद पर प्रतिक्रिया देते हुये भारत ने कहा कि उसके वैध तरीके से ऊर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रूस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं. हालांकि भारत रूस से ऊर्जा का आयात करने वाला अकेला देश नहीं है. जर्मनी जैसे अमेरिका के कई यूरोपीय सहयोगी देश भी ऐसा कर रहे हैं. इन देशों के इस फैसले से प्रतिबंध लगाकर रूसी अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के बाइडन के प्रयासों को धक्का लगा है.

रूस से तेल खरीद नहीं है प्रतिबंधों का उल्लंघन- जेन साकी

भारत का रूस से तेल खरीद बढ़ाना अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जिसका संकेत भारत द्वारा हाल ही में उन्नत रूसी वायु रक्षा प्रणालियों की खरीद के दौरान मिल चुका है. उल्लेखनीय है कि व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को कहा था कि भारत द्वारा रियायती दर पर रूसी तेल खरीदने की पेशकश को स्वीकार करना अमेरिका द्वारा मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं है, लेकिन रेखांकित किया कि इन देशों को यह भी समझना चाहिए कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच ‘वे कहां खड़ा होना चाहते हैं.’’

तेल आयातक होने के कारण करते हैं सभी संभावनाओं पर विचार

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने की संभावना से बृहस्पतिवार को इनकार नहीं किया था और कहा था कि वह बड़ा तेल आयातक होने की वजह से हमेशा सभी संभावनाओं पर विचार करता है. मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल आयात करता है, उसकी जरूरतें आयात से पूरी होती हैं. इसलिए हम वैश्विक बाजार में सभी संभावनाओं का दोहन करते रहते हैं, क्योंकि इस परिस्थिति में हमें अपने तेल की जरूरतों के लिए आयात का सामना कर पड़ रहा है.’’

रूस नहीं रहा है प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता

बागची ने कहा कि रूस भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है.बागची से जब पूछा गया कि यह खरीददारी रुपये-रूबल समझौते के आधार पर हो सकती है तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस पेशकश की विस्तृत जानकारी नहीं है.

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