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चीन की आर्थिक मंदी से भारत के लिए बन रहे नए अवसर, जानिए कैसे आगे निकल रहा है इंडिया

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चीन में आई आर्थिक मंदी काफी कुछ बदल रही है. इस मंदी ने काफी हद तक भू-आर्थिक गतिशीलता को भी बदल दिया है. इसके परिणामस्वरूम भारत के लिए भी नई सप्लाई चेन और नए अवसर पैदा हो रहे हैं. हॉन्गकॉन्ग पोस्ट में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है और पिछले 1 दशक से यहां की अर्थव्यवस्था अबाधित रूप से तरक्की कर रही है. यहां बिजनेस करना भी आसान हुआ है. चीन के विकल्प के रूप में भारत का उभार इसलिए भी है क्योंकि यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्टेशन, मास एजुकेशन, साक्षरता, पब्लिक स्वास्थ्य, ई-कॉमर्श, औरतों के लिए काम के अवसर और कुशल कार्यबल अच्छी और बड़ी मात्रा में उपलब्ध है. इन सब वजहों से भारत अपने आसपास के देशों में सबसे आगे है.

इसलिए पिछड़ रहा है चीन

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 का पहला क्वॉर्टर खत्म होने वाला है, लेकिन चीन अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में असफल रहा है. चीन की इकॉनमी अब भी गिर रही है. यहां रियल एस्टेट बुरी तरह लड़खड़ाया हुआ है. इसके अलावा अमेरिका के साथ चल रहा उसका कारोबारी विवाद भी खत्म नहीं हो रहा है. श्रीलंका औऱ पाकिस्तान में बहुत पैसा लगाकर भी चीन फंस गया है. इसके अलावा पहले से ही कोरोना की वजह से काफी नुकसान उठा चुके चीन में एक बार फिर कोरोना के केस बढ़ रहे हैं और स्थिति भयावह है. ऐसे में चीन के लिए कुछ भी ठीक होता नहीं दिख रहा है.

इसलिए भारत निकल सकता है आगे

वहीं, भारत की बात करें तो उसके लिए चीजें बेहतर होती जा रही हैं. दरअसल चीन की मौजूदा स्थिति की वजह से बड़ी संख्या में कंपनियां दूसरे देश में विकल्प तलाश रही हैं. ऐसे में इन कंपनियों और देश के लिए भारत सबसे बेहतर विकल्प है. अमेरिका और दुनिया की दूसरी कई बड़ी कंपनियां भारत में अपना बिजनेस सेटअप कर चुकी हैं, जबकि कुछ करने की तैयारी में हैं. भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर भी काफी आगे निकल चुका है. अब यहां उन प्लांट्स पर भी फोकस किया जा रहा है जिनका निर्माण अभी तक यहां नहीं होता था. जैसे सेमीकंडक्टर, लटेलिकॉम इक्यूपमेंट, इलेक्ट्रॉनक आइटम और ऑटोमोबाइल पार्ट्स आदि.

चीन के लिए आगे की राह

चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर जो अंदाजा लगाया जा रहा है, उसके अनुसार 2022 में जीन की जीडीप 5 या 5.5 प्रतिशत तक रह सकती है, जो संकट से उबरने के लिए रखे गए टारगेट से बहुत कम है. इसके अलावा यहां लेबर की समस्या का भी समाधान होता नहीं दिख रहा है.

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