<p style="text-align: justify;"><strong>मुंबई:</strong> ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन के खिलाफ मामले में एक झटके के बाद, फ्यूचर ग्रुप की फर्म फ्यूचर कूपन ने 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के फ्यूचर कूपन, फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर समूह के प्रवर्तक किशोर बियानी की संपत्ति को कुर्क करने का निर्देश दिया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले अमेज़ॅन के पक्ष में फैसला सुनाया था और सिंगल जज बेंच के फैसले को बहाल कर दिया था जिसने फ्यूचर कूपन, फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर ग्रुप के सीईओ किशोर बियानी की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया था.</p>
<p style="text-align: justify;">न्यायमूर्ति जेआर मिधा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड, इसकी प्रमोटर संस्थाओं, संस्थापक किशोर बियानी और अन्य को आपातकालीन मध्यस्थ के अंतरिम आदेश के जानबूझकर उल्लंघन में पाया, जो अक्टूबर 2020 में Amazon.com इंक के पक्ष में गया था.</p>
<p style="text-align: justify;">फ्यूचर कूपन ने मौजूदा याचिका के माध्यम से संपत्ति की कुर्की का निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. वर्तमान याचिका के माध्यम से, फ्यूचर कूपन ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर भी रोक लगाने की मांग की, जिसमें बियानी और अन्य फ्यूचर निदेशकों को कारण बताओ सुनवाई के लिए अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया था. फ्यूचर ग्रुप के प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज से एसएलपी शीर्ष अदालत में दायर कीए जाने की पुष्टि की है.</p>
<p style="text-align: justify;">कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, उन आदेशों के खिलाफ कानूनी उपाय के रूप में एक एसएलपी दायर की जा सकती है अन्यथा वे गैर-अपील योग्य हैं. कैपस्टोन लीगल के मैनेजिंग पार्टनर आशीष कुमार सिंह ने एबीपी न्यूज को बताया, "मार्च में पारित आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर करने का समय इस मुद्दे को काफी दिलचस्प बनाता है. फ्यूचर ग्रुप को पहली बाधा पार यह करनी होगी कि उसे एसएलपी दाखिल करने में हुई देरी को स्पष्ट करना होगा."</p>
<p style="text-align: justify;">बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन के पक्ष में शुक्रवार को फैसला देते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय सौदे पर रोक लगाने का सिंगापुर के आपात निर्णायक का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध एवं लागू करने योग्य है.</p>
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