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एंबियेंस समूह के प्रवर्तक की मुश्किलें बढ़ी, मनी लॉन्ड्रिंग में ईडी ने किया गिरफ्तार

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नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 800 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन फर्जीवाड़ा से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एंबियेंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने गुरूवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि गहलोत को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत बुधवार को गिरफ्तार किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि गहलोत को गुरूवार को यहां की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने गहलोत, उनकी कंपनी अमन हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल), एंबियेंस समूह की कुछ अन्य कंपनियों, कंपनी में निदेशक दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों के परिसरों में पिछले साल जुलाई में छापे मारे थे.

गुरुग्राम के एंबियेंस मॉल के भी प्रवर्तक, गहलोत के खिलाफ ईडी का मामला एएचपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ दिल्ली में यमुना खेल परिसर के पास 1, सीबीडी, महाराज सूरजमल रोड पर स्थित पांच सितारा लीला एंबियेंस कन्वेंशन होटल के निर्माण और विकास में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए जम्मू के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की 2019 में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है.

ईडी की जांच में पाया गया कि, “800 करोड़ रुपये से अधिक लोन राशि के एक बड़े हिस्से का, जिसे होटल परियोजना के लिए बैंकों के परिसंघ ने मंजूरी दी थी, उसमें एएचपीएल, राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों ने उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से हेर-फेर किया गया था.”

एजेंसी का आरोप है, “लोन राशि का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल द्वारा कई कंपनियों और व्यक्तियों को मौजूदा बिलों के भुगतान और सामग्री की आपूर्ति और निष्पादित कार्य के लिए अग्रिम भुगतान के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था.” इसने कहा कि एंबियेंस समूह के कर्मचारियों और गहलोत के सहयोगियों को इन कंपनियों में निदेशक और मालिक बनाया गया था और गहलोत इन कंपनियों में से कई के “अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता” थे.

ईडी ने कहा, “किसी सामग्री की आपूर्ति नहीं की गई थी और न ही कोई काम किया गया था और लगभग पूरी राशि तुरंत राज सिंह एंड संस एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) और उनके भाई के बेटे के स्वामित्व वाली कंपनियों को भेज दी गई थी.” एजेंसी ने कहा, “फिर समूह की कंपनियों के जटिल नेटवर्क के जरिए रुपयों का हेरफेर किया गया था. ”

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