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एंटीलिया केस: मनसुख हिरेन की हत्या के लिए 45 लाख दिए गए, NIA का खुलासा

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मुंबई: देश के चर्चित एंटीलिया विस्फोटक और मनसुख हिरन हत्याकांड मामले की जांच कर रही नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने विशेष अदालत में बड़ा दावा किया है. एनआईए ने कोर्ट को बताया कि हाई प्रोफाइल केस होने के नाते इस केस से जुड़े हुए चार से पांच गवाहों को धमकाया जा रहा है. यह खुलासा एनआईए ने कोर्ट में उस वक्त किया जब एनआईए एंटीलिया विस्फोटक प्रकरण और मनसुख हिरन हत्याकांड केस में चार्जशीट दाखिल करने के लिए 30 दिनों का अतिरिक्त समय मांग रही थी. 

एनआईए ने विशेष अदालत को यह भी बताया कि मनसुख हिरन की हत्या के लिए आरोपियों द्वारा 45 लाख रुपए की सुपारी दी गई थी. मनसुख की हत्या के आरोपियों को लगता था कि उनके एंटीलिया कांड प्रकरण में मनसुख हिरन सबसे कमजोर कड़ी है. 

गवाहों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई 
एनआईए के वकील सुनील गोंजाल्विस ने विशेष कोर्ट को बताया कि जिन आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया गया है वह बेहद ही खतरनाक लोग हैं. 4 से 5 गवाहों को इस तरह धमकाया गया है कि वे बेहद डर गए हैं. कई गवाह अपना बयान दर्ज कराने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं उन गवाहों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई है. एडवोकेट सुनील ने बताया कि एक परिवार को तो इस हद तक धमकाया गया है कि उस परिवार ने अपने  परिजनों की सुरक्षा के लिए अपना पहले से तय ट्रिप तक रद्द कर दिया. एनआईए ने कोर्ट को बताया कि इस पूरे प्रकरण में कुछ अतिरिक्त लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं.

चार्जशीट दाखिल करने के लिए 2 महीने का दिया था समय
गौरतलब है कि विशेष अदालत ने 9 जून को एंटीलिया प्रकरण और मनसुख हत्याकांड मामले के चार्जशीट दाखिल करने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी को 2 महीने का समय दिया था. एनआईए ने जैसे ही कोर्ट में अतिरिक्त समय के लिए आवेदन किया उसी समय आरोपियों के वकील ने इस पर पक्ष रखने और सुनवाई की मांग की. 

एनआईए ने विशेष अदालत को यह भी बताया कि एंटीलिया प्रकरण और मनसुख हिरन हत्याकांड में अब तक लगभग 150 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. इस प्रकरण में लगभग 60 पंचनामा भी किए गए हैं. गवाहों के बयान क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 164 के तहत दर्ज किए गए हैं.  इसके अलावा जमा किए गए सबूतों की स्क्रूटनी की जा रही है. आगामी सितंबर महीने में एनआईए इस पूरे केस की 4 सीट विशेष कोर्ट में दायर कर देगी. 

इस केस में बरामद किए गए सीसीटीवी फुटेज टेराबाइट में है जिसे डाउनलोड होने में 1 से 2 दिन का समय लग रहा है. एडवोकेट सुनील गोंजाल्विस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों ने अपने फोन का इस्तेमाल नहीं किया इसके अलावा टावर लोकेशन, कॉल डिटेल महत्वपूर्ण दस्तावेजों का अध्ययन और स्कूटनी सावधानी से करना बेहद जरूरी है. आरोपियों ने जांच में कभी सहयोग नहीं किया. आरोपी पुलिसकर्मी एक प्रशिक्षण प्राप्त पुलिसकर्मी है इसलिए उन्हें पता है कि  जांच को कैसे भटकाया जाए. चार्जशीट दाखिल करने के लिए एनआईए को अतिरिक्त समय दिया जाए या नहीं इस पर सुनवाई 4 अगस्त को भी जारी रहेगी.

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