राष्ट्रीय

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं चार मुल्क | कैसे?

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

[ad_1]

Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े के बाद अब रूस समेत चीन, पाकिस्तान और तुर्की भारत के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं. खासकर जिस तरह से सोमवार को चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत पर जानबूझकर पाकिस्तान को नहीं बोलने देने का आरोप लगाया, उससे चीन ने आने वाले दिनों में तालिबान के मद्देनजर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करने के साफ संकेत दे दिए हैं.

यही नहीं चीन ने पाकिस्तान से भी पहले तालिबान के साथ काम करने की बात करके ये संकेत भी दे दिये हैं कि भले ही संयुक्त राष्ट्र के स्थाई पांच सदस्यों ने अभी तक तालिबानी सरकार को मान्यता न दी हो मगर चीन आने वाले दिनों में ऐसा कर सकता है. और अगर ऐसा हुआ तो ये भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. अभी हाल हीं में एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दज़ेय ने कहा था कि चीन को जिम्मेदार रुख दिखाना होगा.

इतना ही नहीं, चीन इस मामले में जिस तरह से पाकिस्तान के साथ मिलकर रणनीति बना रहा है वो इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने और तालिबान के राज का स्वागत कर दिया. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान दशकों से तालिबान का समर्थन करता रहा है और पाकिस्तानी एजेंसियां तालिबान को हथियार भी मुहैया कराती रही हैं.

ये भी दिलचस्प बात है कि 6 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई अफगानिस्तान पर चर्चा में भी जब पाकिस्तान को बोलने की अनुमति नहीं मिली थी, उसके तुरंत बाद ही तालिबान ने अफगानी शहर मज़ार-ए-शरीफ पर कब्ज़ा की मुहिम तेज़ कर दी थी. इससे साफ है कि पाकिस्तान के नापाक मंसूबे भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय होंगे. अफगान राजदूत ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए पाकिस्तान की भूमिका पर भी खासी चिंता जताई थी.

चीन और पाकिस्तान के अलावा तुर्की की भूमिका भी भारत की चिंताए बढ़ा सकती है. याद रहे कि तुर्की के साथ भारत के संबंध पिछले दो साल से अच्छे नहीं चल रहे, जब से 5 अगस्त 2019 को भारत ने कश्मीर से धारा 370 को हटाया था. तुर्की के राष्ट्रपति तैयब अर्दोगान ने तो ठीक इसके बाद संयुक्त राष्ट्र जेनरल एसेम्बली में इस फैसले को लेकर भारत की सार्वजनिक आलोचना भी की थी. इसके अलावा दिल्ली दंगों के वक्त भी तुर्की के राष्ट्रपति ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे.

अब भारत की चिंता ये है कि अगर अफगानिस्तान में पूर्ण तालिबानी सरकार स्थापित होती है तो भले ही 5 देश तुरंत उसे मान्यता ना दें मगर तुर्की जैसे देश ऐसा कर सकते हैं. ऐसे में भारत के लिए तुर्की भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. ऐसे में चीन, पाकिस्तान और तुर्की की इस तिगड़ी से भी निपटने के लिए भारत को रणनीति तैयार रखनी होगी.

चीन, पाकिस्तान और तुर्की ही नहीं, रूस का रुख भी भारत को परेशान कर सकता है क्योंकि काबुल में रूस के राजदूत ने यहां तक बयान दे दिया है कि काबुल करजई के बनिस्पत तालिबान के राज मे ज़्यादा सुरक्षित नज़र आ रहा है. ऐसे में ये कयास भी लग रहे हैं कि कहीं रूस भी जल्दी ही तालिबान को मान्यता ना दे दे. अगर ऐसा हुआ तो जाहिर है रूस समेत, चीन, पाकिस्तान और तुर्की अफ़निस्तान में भारतीय हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

Afghanistan Crisis: काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान का ‘आम माफी’ का एलान, अफगानिस्तान की महिलाओं को लेकर की ये अपील

FB Bans Taliban: तालिबान को फेसबुक ने किया बैन, अमेरिकी कानून का हवाला देकर इसे बताया आतंकी संगठन

[ad_2]

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button