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अलीगढ़, फ़िरोज़ाबाद और मैनपुरी का योगी सरकार बदलेगी नाम? जानें-क्या हो सकता है अब

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Uttar Pradesh News: चुनाव से पहले क्या योगी सरकार यूपी के कुछ शहरों का नाम बदलने की तैयारी में है. वैसे योगी आदित्यनाथ का ये फेवरट एजेंडा रहा है. मुख्यमंत्री बनने से पहले इस मुद्दे को लेकर वे बेहद आक्रामक हुआ करते थे. हाल में ही राज्य के तीन ज़िलों अलीगढ़, फ़िरोज़ाबाद और मैनपुरी के नाम बदलने को लेकर हलचल तेज हो गई है. योगी सरकार पहले ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फ़ैज़ाबाद का अयोध्या कर चुकी है. बीजेपी और हिंदूवादी संगठन लखनऊ, ग़ाज़ियाबाद और देवबंद का भी नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम दीन दयाल उपाध्याय कर दिया गया जबकि झांसी को रानी लक्ष्मी बाई स्टेशन करने का प्रस्ताव है.

नाम में क्या रखा है ? ऐसा लोग कहते हैं. लेकिन चुनाव में नाम और उसके पीछे की नीति और नीयत दोनों काम करती है. चुनावी नफ़ा नुक़सान देख कर ये काम दशकों से होता रहा है. यूपी में छह महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं. उससे पहले कुछ जिलों के नाम बदलने को लेकर काग़ज़ी कार्रवाई शुरू हो गई है. बीजेपी के लोग फ़िरोज़ाबाद का नाम चंद्रनगर करना चाहते हैं .कांच की चूड़ियों के लिए मशहूर फ़िरोज़ाबाद में ज़िला पंचायत बोर्ड की बैठक में इस बात का प्रस्ताव पास भी हो गया है. अलीगढ़ का भी नाम बदलने की चर्चा है. तालों के लिए मशहूर इस ज़िले में ज़िला पंचायत बोर्ड की इमरजेंसी बैठक हुई. इस मीटिंग में अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने का प्रस्ताव पेश हुआ. ज़िला पंचायत की अध्यक्ष अर्चना भदौरिया ने प्रस्ताव पास करा लिया. उनका कहना है कि पहले भी अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ ही था.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लोकसभा के सांसद हैं. मैनपुरी का नाम बदलने को लेकर बीजेपी एक्टिव हो गई है. मैनपुरी का नाम वे मयन नगरी करना चाहते हैं. ज़िला पंचायत की बैठक में इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से पास करा लिया गया. अब ये सारे प्रस्ताव मुख्यमंत्री ऑफिस भेजे दिए गए हैं. अब योगी को इस मामले में आख़िरी फ़ैसला लेना है. यूपी में कई ऐसे शहर हैं जहां से नाम बदलने की मांग आती रही है. दुनिया में इस्लामिक शिक्षकों सबसे बड़े सेंटर देवबंद का भी नाम बदलने को लेकर बजरंग दल वाले आंदोलन चला रहे हैं. वहां से बीजेपी के विधायक कुंवर ब्रजेश सिंह भी लखनऊ से लेकर देवबंद तक इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. 

हिंदू वादी संगठन चाहती हैं कि देवबंद का नाम देववृन्द हो जाए. लखनऊ का नाम लखनपुरी करने के लिए भी डिमांड होती रही है. ग़ाज़ियाबाद का नाम भी इस लिस्ट में है. बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों को लगता है कि नाम बदल देने से उनके एजेंडे को धार मिलेगी.

यूपी का सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ ज़ोर शोर से इस मुद्दे को उठाते थे. हर मंच से वे लोगों से इसके लिए आंदोलन करने की अपील किया करते थे. गोरखपुर से वे लगातार 5 बार लोकसभा के सांसद रहे. इस दौरान उन्होंने शहर के कई जगहों के नाम बदल दिए. जिनके नाम उर्दू में थे या फिर इस्लाम से उनका कोई रिश्ता था. मियां बाज़ार का नाम माया बाज़ार तो उर्दू बाज़ार का नाम हिंदी बाज़ार हो गया. इसी तरह अली नगर का नाम आर्य नगर और हुमायूं नगर का नाम बदल कर हनुमान नगर कर दिया गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया और फ़ैज़ाबाद का नाम अयोध्या. तो ऐसे में सवाल उठता है कि योगी राज में अब किस शहर की बारी है. सवाल ये भी है क्या चुनावों में इस आधार पर वोट भी पड़ते हैं ?

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