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भारत में सालों से रह रहे हैं अफगान नागरिक, UNHRC की अनदेखी की वजह से नहीं मिल रहा हक

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Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान का कब्जा होने के बाद से अफगानिस्तान चर्चाओं में है. भारत में कई सालों से अफगानिस्तान के हजारों नागरिक रह रहे हैं. दिल्ली के वजीराबाद में एक स्थान ऐसा है जो अब अफगानिस्तान के नाम से जाना जाता है, जिसे अफगान चौक कहा जाता है. यहां पर लगभग डेढ़ सौ से 200 अफगान परिवार कई सालों से रह रहे हैं लेकिन इन लोगों की अपनी अलग परेशानी है. इन लोगों का कहना है कि वे भारत के शुक्रगुजार हैं, जो यहां रहने के लिए पनाह दी लेकिन यूएनएचआरसी के अनदेखी की वजह से इन्हें इनका हक नहीं मिल पा रहा है.

दिल्ली का वजीराबाद का इलाका, जो अफगान चौक के नाम से जाना जाता है, यहां बड़ी संख्या में अफगान नागरिक रहते हैं, जो कई सालों से भारत में रह रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि हम जब भारत आए थे तो हमें कुछ महीनों के लिए ही यहां रूकना था और यूएनएचआरसी को हमें किसी दूसरे देश जैसे अमेरिका, कनाडा आदि में शरणार्थी के तौर पर भेजना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

अफगानिस्तान में डर का माहौल

अफगानी नागरिक नईम पठान ने बताया, ‘अभी अफगानिस्तान में बहुत डर का माहौल है. तालिबानी हर उस व्यक्ति की जान के दुश्मन हैं, जिन्होंने अमेरिका के साथ काम किया है या सरकार के साथ काम किया है. मैं पिछले 32 साल से भारत में दिल्ली में रह रहा हूं. इन 32 सालों में अभी तक हमें किसी प्रकार की कोई आईडी नहीं दी गई है. मेरे पास सिर्फ यूएनएचआरसी का एक कार्ड है, जिससे मुझे सिर्फ किराए पर रहने के लिए घर मिल सकता है. इसके अलावा चाहे मोबाइल का सिम हो या फिर कुछ और हम अपने नाम पर नहीं ले सकते.’

उन्होंने बताया, ‘जब हम लोगों को अफगानिस्तान से भारत भेजा गया था तो हमें ज्यादा से ज्यादा 18 महीने तक भारत में रूकना था. उसके बाद यूएनएचआरसी हमें किसी और देश जैसे कनाडा, अमेरिका, ईरान आदि में रिफ्यूजी के तौर पर भेजता लेकिन ऐसा नहीं किया गया. हम भारत के शुक्रगुजार हैं कि भारत ने हमें यहां पर सिर छुपाने के लिए जगह दी है. हम यहां महफूज हैं लेकिन हमें यहां नौकरी नहीं मिल पाती है. हमें पैसों की बहुत दिक्कत आती है. जब लॉकडाउन हुआ था तभी से हमारे काम धंधे पर असर पड़ना शुरू हो गया था और अब पिछले 10 दिनों से जब से तालिबान का कब्जा पूरे अफगानिस्तान पर हुआ है, तब से हमारे काम धंधे पर पूरी तरीके से असर पड़ा है.

आर्थिक तौर पर बहुत ज्यादा किल्लत

उनका कहना है, ‘हम यहां पर छोटा मोटा काम करके अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं, लेकिन अब हमें आर्थिक तौर पर बहुत ज्यादा किल्लत हो रही है. हम यूएनएचआरसी से यही गुजारिश करते हैं कि हम लोगों को किसी दूसरे देश में रिफ्यूजी बनाकर भेजा जाए, जिससे कि हम वहां पर रहते हुए नौकरी कर सकें, कुछ काम कर सकें, अपना घर खरीद सके. भारत में सरकार द्वारा हमारे ऊपर ₹50 हजार का जुर्माना भी लगाया जाता है, अगर हम वापस अफगानिस्तान लौटना चाहें. इस जुर्माने की वजह से अब वे लोग वापस नहीं जा पा रहे हैं, जिनका वीजा खत्म हो चुका है क्योंकि एक सदस्य के ₹50 हजार देने होते हैं तो परिवार में 4 से 5 लोग हैं.

उन्होंने बताया, ‘इतना ज्यादा पैसा जुर्माने के तौर पर देखकर कोई वापस कैसे जा पाएगा? हमारी भारत सरकार से भी यही गुजारिश है कि इस जुर्माने की रकम को कम किया जाए. यहां रह रहे अफगानी नागरिकों को कोई ऐसा पहचान पत्र उपलब्ध करवाया जाए, जिससे वे लोग भी यहां पर रहते हुए नौकरी कर सके ताकि आर्थिक तौर पर जो परेशानियां आ रही हैं वो कम हो.

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