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ट्रिपल तलाक बिल संसद में न पास होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को पास कराने के लिए अध्यादेश का रास्ता अख्तियार किया है और मोदी कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी. यानी अब मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से राहत मिलने वाली है. हालांकि, इसके लिए मोदी सरकार को ट्रिपल तलाक अध्यादेश को 6 महीने के अंदर पास करवाना होगा. यानी सरकार को इसी शीतकालीन सत्र में अध्यादेश पास कराना होगा. मसौदा कानून के तहत, किसी भी तरह का तीन तलाक बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा.
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था. उसी वक्त साफ हो गया था कि मोदी सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लाएगी. कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा. अब इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है. मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक विधेयक पर अध्यादेश लाया है. अब इसे 6 महीने के भीतर दोनों सदनों से पारित करनावा होगा.पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है. तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं.22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.