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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा कि गुजरात को ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित करने का सरकार का दावा गलत प्रतीत होता है क्योंकि कई ग्रामीणों के घरों में अब भी शौचालय नहीं बने हैं. राज्य विधानसभा में बुधवार को पेश की गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ जिलों में किए गए सर्वेक्षण में करीब 30 फीसदी घरों में शौचालय नहीं पाए गए. बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में लोकसभा को सूचित किया था कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत गुजरात समेत 11 राज्यों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्य सरकार ने दो अक्तूबर 2017 तक गुजरात के सभी जिलों को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया. हालांकि 2014-17 की अवधि के दौरान आठ जिला पंचायतों के तहत 120 ग्राम पंचायतों की जांच में खुलासा हुआ कि 29 फीसदी घरों में अब भी शौचालय नहीं हैं.’ इसमें कहा गया है, ‘राज्य सरकार का यह दावा सही नहीं दिखाई देता कि गुजरात के सभी जिले खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं.’
यह सर्वेक्षण दाहोद, बनासकांठा, छोटा उदयपुर, डांग, पाटण, वलसाड़, जामनगर और जूनागढ़ में किया गया. कैग ने कहा कि लोग अब भी विभिन्न कारणों से शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 120 गांवों की जांच की उनमें से 41 में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए शौचालयों का इस्तेमाल नहीं किया जा सका क्योंकि वहां पानी की व्यवस्था नहीं थी.
टिप्पणियां इसमें कहा गया है कि 15 गांवों में पानी उपलब्ध ना होने के कारण और निकासी की व्यवस्था ना होने के कारण शौचालयों का इस्तेमाल नहीं किया गया या उनका निर्माण अधूरा था। आदिवासी बहुल वलसाड़ जिले की कपराड़ा तहसील में 17,400 से अधिक शौचालयों का इस्तेमाल ही नहीं किया गया.