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ममता सरकार ने राज्य में हुई हिंसा की CBI जांच का किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

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West Bengal Violence: पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की सीबीआई जांच के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया. हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल जांच पर रोक नहीं लगाई है. 7 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होगी. राज्य सरकार का कहना है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने उसे पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया. राज्य सरकार ने यह दलील भी दी है कि हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जिस टीम की रिपोर्ट के आधार पर जांच सीबीआई को सौंपी, उस टीम के प्रमुख सदस्य बीजेपी की विचारधारा के हैं.

19 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए पश्चिम बंगाल हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. साथ ही एसआईटी का भी गठन किया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि हत्या और रेप के मामलों की जांच सीबीआई करेगी. बाकी मामलों की जांच एसआईटी करेगी. हाई कोर्ट राज्य सरकार को हिंसा पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कहा था. साथ ही सीबीआई और एसआईटी से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी.

सीबीआई अब तक मामले में 40 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है. अब राज्य की ममता सरकार ने जांच का विरोध करते हुए कहा है कि हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एकतरफा रिपोर्ट के आधार पर जांच सीबीआई को सौंप दी. राज्य पुलिस मामले की जांच में सक्षम है. वह जांच ज़िम्मेदारी से कर रही थी. लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को अनसुना कर दिया.

आज जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की बेंच के सामने राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की. उन्होंने कहा, “हिंसा के समय प्रशासन चुनाव आयोग के हाथ में था. राज्य सरकार ने शासन संभालते ही ज़रूरी कार्रवाई शुरू कर दी. हाई कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई. लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई. हाई कोर्ट ने सरकार से कई सवाल किए, लेकिन जवाब देने का पर्याप्त मौका नहीं दिया.”

सिब्बल ने हाई कोर्ट के निर्देश पर बनी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की कमिटी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि NHRC के अध्यक्ष ने 6 सदस्यों की टीम बनाई. उनमें से 3 प्रमुख सदस्य केंद्र की सत्ताधारी पार्टी की विचारधारा के हैं. सिब्बल ने इस सिलसिले में पूर्व आईपीएस राजीव जैन और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन का विशेष तौर ओर नाम लिया. उन्होंने यह भी कहा कि हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों में से एक प्रियंका टिबड़ेवाल इस समय बीजेपी के टिकट पर सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट ने जिस तरह एक साथ सारे केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिए, वह प्राकृतिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने करीब 2 घंटे तक उनकी दलीलों को सुनने के बाद यह माना कि यह मामला विस्तार से सुनवाई योग्य है. कोर्ट ने सीबीआई और दूसरे प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 7 अक्टूबर को अगली सुनवाई की भक्त कही. कोर्ट ने उन 5 याचिकाओं को भी साथ में लगाने का निर्देश दिया है, जिन्हें पश्चिम बंगाल हिंसा पीड़ितों ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था.

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