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Coal Crisis: थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी बरकरार है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खानों से दूर स्थित चार दिन से कम कोयला भंडार (सुपर क्रिटिकल स्टॉक) वाले बिजली संयंत्रों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 61 पर पहुंच गयी. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के कोयला भंडार पर ताजा आंकड़ों के अनुसार, खानों से दूर स्थित चार दिन से कम के कोयला भंडार वाले बिजली संयंत्रों की संख्या 19 अक्टूबर को बढ़कर 61 पहुंच गयी जो 18 अक्टूबर को 58 थी.
आंकड़ों से पता चलता है कि चार दिन के कोयला भंडार वाले बिजलीघरों की संख्या पिछले सप्ताह (12 अक्टूबर) 65 थी. यानी कोयला भंडार की स्थिति सुधरी है लेकिन संकट अभी बना हुआ है. सीईए 135 ताप बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति पर नजर रखता है. इन संयंत्रों की सामूहिक उत्पादन क्षमता 1,65,000 मेगावॉट है.
आंकड़े से पता चलता है कि ऐसे बिजलीघरों की संख्या घटकर 15 पर आ गयी है, जहां कोयले का बिल्कुल भी भंडार नहीं है. इनकी बिजली उत्पादन क्षमता 15,080 मेगावॉट है. एक सप्ताह पहले ऐसे संयंत्रों की संख्या 18 थी जिनकी उत्पादन क्षमता 18,630 मेगावॉट थी.
इससे पहले मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने कहा कि बिजली उत्पादकों के सूखे ईंधन के घटते भंडार के मद्देनजर वह उन्हें अस्थायी रूप से कोयले की आपूर्ति में प्राथमिकता दे रही है. देश के बिजली संयंत्रों के ईंधन की कमी से जूझने के बीच यह बयान महत्वपूर्ण है. सीआईएल ने एक बयान में कहा था, “कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी के कारण बिजली संयंत्रों में भंडार की कमी के स्थिति को देखते उन्हें कोयले की आपूर्ति में प्राथमिकता दी गयी है.” इस उद्देश्य को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए, कोयला कंपनियों को सलाह दी गयी है कि वे बिजली के लिए विशेष फॉरवर्ड ई-नीलामी को छोड़कर आगे कोयले की ई-नीलामी करने पर अस्थायी रूप से धीमी गति से चलें. बयान के अनुसार यह उपाय विद्युत क्षेत्र में इस समय ऊंची मांग की स्थिति से निपटने के लिए किया गया है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी.
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