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PDP Issues Legal Notice To Satya Pal Malik: पीडीपी ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को महबूबा मुफ्ती पर लगाए आरोपों को लेकर कानूनी नोटिस भेजा है. सत्यापाल मलिक ने हाल ही में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना का लाभार्थी बताया था. उन्होंने कई अन्य नेताओं के साथ महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाते हुए कहा था कि रोशनी योजना के तहत महबूबा मुफ्ती को प्लॉट मिला है.
PDP issues legal notice to former J&K Governor Satya Pal Malik for levelling defamatory allegations against PDP President Mehbooba Mufti
(file photo) pic.twitter.com/XyCIjkpRm0
— ANI (@ANI) October 22, 2021
वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आरोपों पर महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को एक ट्वीट किया और उनके आरोपों को झूठा, बेहूदा और शरारतपूर्ण बताया. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, “सत्यपाल मलिक द्वारा मुझे रोशनी अधिनियम का लाभार्थी बताया जाना झूठा, बेहूदा व शरारतपूर्ण है. मेरी कानूनी टीम उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी कर रही है. उनके (मलिक के) पास अपनी टिप्पणी वापस लेने का विकल्प है, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो मैं कानूनी कदम उठाउंगी.’’
False & unsavoury utterances of Satya Pal Malik about me being a beneficiary of Roshni Act is highly mischievous.
My legal team is preparing to sue him.
He has the option to withdraw his comments failing which I will pursue legal recourse. pic.twitter.com/QVSOEFLGYp— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 20, 2021
महबूबा मुफ्ती ने मलिक का वीडियो लिंक भी साझा किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल दावा कर रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत प्लॉट मिला है.
क्या थी रोशनी योजना
गौरतलब है कि रोशनी अधिनियम फारूक अब्दुल्ला लाए थे, जिसमें राज्य सरकार की जमीन के कब्जेदार को शुल्क देकर मालिकाना हक देने का प्रावधान था. इस योजना से प्राप्त राशि का इस्तेमाल राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं पर खर्च किया जाना था. हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस कानून को गैर-कानूनी करार देकर रद्द कर दिया था और लाभार्थियों की जांच करने की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी.
जांच में खुलासा हुआ कि जम्मू संभाग में सरकारी जमीन के बड़े हिस्से (28,500 हेक्टेयर) पर मालिकाना हक दिया गया, जबकि कश्मीर में केवल छह प्रतिशत भूमि (1700 हेक्टयर) का मालिकाना हक स्थानांतरित किया गया.
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