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भारत की कोरोना वैक्सीन को WHO ने दी इमरजेंसी यूज़ की मंजूरी

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Covaxin Gets WHO Approval: आखिरकार भारतीय दवा कंपनी भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को डब्लूएचओ ने EUL यानी इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग में शामिल किया है. बुधवार को हुई डब्लूएचओ की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की बैठक में कोवैक्सीन को इमरजेंसी लिस्टिंग में शामिल कर लिया गया.

भारत बायोटेक ने डब्लूएचओ से EUL के लिये जुलाई के महीने आवेदन किया था और प्रक्रिया शुरू हुई थी. कोवैक्सीन के फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल डेटा जून 2021 के दौरान उपलब्ध था. विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन उपयोग सूची यानी EUL)

प्रक्रिया 6 जुलाई, 2021 को रोलिंग डेटा सबमिशन के साथ शुरू हुई. WHO के स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन (SAGE) ने 5 अक्टूबर को एक बैठक में कोवैक्सीन डेटा की समीक्षा की थी और 3 नवंबर को कोवैक्सीन के लिए EUL को मंजूरी दी थी.

आज मिली मंजूरी

इसे पहले कई बार डब्लूएचओ की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की बैठक हुई है और हर बार कंपनी से नया डेटा वैक्सीन की एफिकेसि, इममुनोजेन्सिटी और रिस्क असेसमेंट डेटा मंगा गया जो दिया जा चुका है. 26 अक्टूबर को हुई बैठक में भारत बायोटेक जो कोवैक्सीन बनाती है उसे फाइनल रिस्क बेनिफिट फॉर ग्लोबल यूज़ मांगा गया जिसे देने पर 3 नवंबर के बाद उस पर कोई फैसला लिया जा सके.

डब्लूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्य स्वामीनाथन ने 27 अक्टूबर को ट्वीट कर जानकारी दी थी कोवैक्सीन बनानेवाली कंपनी भारत बायोटेक से फाइनल रिस्क बेनिफिट फॉर ग्लोबल यूज़ का असेसमेंट डेटा मांगा गया जिस पर 3 नवंबर की बैठक में विचार होगा. जिसके बाद भारत बायोटेक ने जरूरी डेटा दिया. कंपनी के डेटा देने के बाद आज आखिरकार उसे मंजूरी मिल गई.

कोवैक्सीन की उपलब्धता में तेजी आएगी

कोरोना की वैक्सीन  कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग मिलने से कोवैक्सिन को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुमति मिल जाएगी जिसके चलते कोवाक्सिन की खुराक लेने वाले लोग विदेश यात्रा के लिए मान्य होंगे. ज्यादातर देशों में उन्हीं लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डब्ल्यूएचओ की सूची में शामिल वैक्सीन की खुराक लगी हो.

WHO द्वारा इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग से वैश्विक पहुंच और दुनिया भर में कोवैक्सीन की उपलब्धता में तेजी आएगी और आसानी से उपलब्ध होगी. कोवैक्सीन के लिए WHO की आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) भारत बायोटेक द्वारा विकसित और निर्मित भारत की स्वदेशी रूप से निर्मित COVID-19 वैक्सीन को पेश करने और प्रशासित करने के लिए देशों को उनकी नियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेजी लाने की सुविधा प्रदान करती है.

भारत में वैक्सीन का उत्पादन काफी मात्रा में हुआ है- बायोटेक के एमडी

ये जरूरतमंद देशों को वितरण के लिए यूनिसेफ, पीएएचओ और जीएवीआई कोवैक्स सुविधा द्वारा खरीद की भी अनुमति देता है. इसके ये फायदे होंगे कि विदेशों से कोवैक्सिन की डिमांड बढ़ेगी.दूसरे देशों में कोवैक्सिन का निर्यात हो सकेगा. भारत में वैक्सीन का उत्पादन काफी मात्रा में हुआ है ऐसे में भारत कोवैक्सिन का निर्यात दूसरे देशों में कर सकेगा. इस मौके पर भारत बायोटेक के एमडी डॉ कृष्णा एला ने कहा ” ये भारतीय इनोवेशन, भारतीय उद्यमिता, भारतीय स्टार्टअप और भारतीय विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. एक वैज्ञानिक के रूप में मैं प्रार्थना करता हूं कि भारत का इनोवेशन शुरू हो रहा है और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, यह तेजी से बढ़ रहा है.”

उन्होंने आगे कहा कि, “हम भारत बायोटेक  प्रधान मंत्री मोदी और कई सम्मानित लोगों के आभारी हैं जिन्होंने भारतीय विज्ञान में विश्वास पैदा करने के लिए वैक्सीन लिया. देश में सच्ची सार्वजनिक-निजी भागीदारी स्थापित करने के लिए और हमसे साझेदारी के लिए हम आईसीएमआर और एनआईवी के आभारी हैं. हम स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के आभारी हैं.”

देश ईयूएल टीकों को मान्यता दें- डॉ माइक रयान 

इस वैक्सीन को अनुमति मिलने में काफी वक्त लगा लेकिन ये प्रक्रिया काफी लंबी होती और लोगों से जुड़ी होती है इसलिए इसके हर पहलू को देखा जाता है. डब्लूएचओ से 20 अक्टूबर को कोवैक्सीन की इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग पर सवाल किया गया जिसके जवाब डॉ माइक रयान, स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम सदस्य ने जवाब में कहा किसी भी वैक्सीन को डब्लूएचओ इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग दे दो सभी चीजों को जांच ले फिर चाहे वो वैक्सीन की एफिकेसि हो या उसके बने की प्रक्रिया क्योंकि दुनिया उसको इस्तेमाल करेगी और ये पूरी प्रक्रिया होती है.

WHO हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के डॉ माइक रयान का कहना है कि, डब्ल्यूएचओ बहुत स्पष्ट है कि हम चाहते हैं कि सभी देश ईयूएल टीकों को मान्यता दें, जो डब्ल्यूएचओ सलाहकार प्रक्रिया द्वारा एक आपातकालीन उपयोग सूची है, लेकिन यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि डब्ल्यूएचओ जब इस तरह की सिफारिश करता है तो वह विश्व स्तर पर बना रहा है. यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि हम सभी आवश्यक जानकारी न केवल स्वयं वैक्सीन पर बल्कि निर्माण प्रक्रिया और उन सभी पर एकत्र करें क्योंकि हम दुनिया को इसकी सिफारिश कर रहे हैं कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है और उच्चतम गुणवत्ता और मानकों का उपयोग करके उत्पादित किया गया है. जो कंपनियां अपने टीके आगे रखती हैं, उन्हें पहले अनुरोध करना होगा और प्रतिक्रिया देनी होगी और कहना होगा कि हम चाहते हैं कि हमारा टीका ईयूएल के माध्यम से लगाया जाए.

उन्होंने आगे कहा कि, फिर पूरी प्रक्रिया, प्रभावकारिता अध्ययन और निर्माण प्रक्रिया पर दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे. कभी-कभी इसे देखने और निर्माण प्रथाओं की जांच करने के लिए यात्राओं की आवश्यकता होती है और उन सभी को एक साथ एक डोजियर में आना पड़ता है. यह इस सलाहकार समूह तंत्र के भीतर प्रस्तुत किया गया है. और फिर वहीं से डब्ल्यूएचओ सिफारिश कर सकता है. यह बेहद महत्वपूर्ण कार्य है, यह बेहद शामिल और मापा गया है और इस प्रक्रिया के आउटपुट बहुत उच्च गुणवत्ता वाले हैं)

WHO द्वारा आपातकालीन उपयोग सूची प्रदान की गई

कोवैक्सीन भारत की पहली स्वदेशी कोविड -19 वैक्सीन है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आपातकालीन उपयोग सूची प्रदान की गई है. ये टीका ICMR और NIV, पुणे के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था. इसे 2-8ºC पर शिपिंग और लंबी अवधि के भंडारण को सक्षम करने के लिए तैयार किया गया है. यह एक बहु-खुराक शीशी नीति का पालन करने के लिए भी तैयार किया गया है, जिससे खुली शीशी की बर्बादी कम हो जाती है, खरीद एजेंसियों और सरकारों को समान रूप से पैसे की बचत होती है.

अब तक डब्‍लूएचओ ने 6 छह वैक्‍सीनों को ईयूएल दिया है. इनमें फाइजर-बायोएनटेक, एसके बायो और सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), एस्‍ट्राजेनेका ईयू, जैनसन, मॉडर्ना और सिनोफार्म की वैक्‍सीन शामिल हैं.

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