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बिहार में जहरीली शराब ने ली 31 की जान, तेजस्वी ने साधा नीतीश पर निशाना, जानें CM का दावा

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Bihar politics: बिहार में कहने को तो शराबबंदी है लेकिन जहरीली शराब पीकर एक बार फिर कई परिवार उजड़ गए हैं. दिवाली के मौके पर गोपालगंज और बेतिया में जहरीली शराब पीने से 31 लोगों की मौत हो गई है. गोपालगंज में जहां 20 लोगों की मौत हुई है, वहीं बेतिया में अब तक 11 लोगों की जान जा चुकी है. जहरीली शराब पीने से कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है. इससे पहले पिछले हफ़्ते मुजफ़्फरपुर में भी शराब पीने से 6 लोगों की जान चली गई थी.

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शराबबंदी से मौतों के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, जहरीली शराब से बिहार में दीवाली के दिन सरकार द्वारा 35 से अधिक लोग मारे गए. किसी की सनक से बिहार में कागजों पर शराबबंदी है अन्यथा खुली छूट है क्योंकि ब्लैक में मौज और लूट है.

नीतीश कुमार का बेतुका बयान

बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेतुका बयान दिया है. उन्होंने कहा है, ‘गड़बड़ चीज पीएंगे, तो यही होगा. कितना मना करने के बाद भी पीते हैं. साल 2016 से हमने शराबबंदी को सख्ती से लागू किया हुआ है. लोगों का अधिकांश हिस्सा शराबबंदी के पक्ष में है. चंद लोगों से अपील है जो पीते हैं मत पीजिए. कुछ तो गड़बड़ होगा ही. कुछ लोगों की गड़बड़ी करने की प्रवृत्ति होती है.’

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘गड़बड़ करने वाले चंद लोगों को सजा मिलती है. जेल भी जाते हैं. लोगों से आग्रह कि इससे दूर रहें. शराबबंदी पर कुछ लोग मेरे खिलाफ बोलते हैं लेकिन चिंता नहीं है.’

ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में पुलिसकर्मी निलंबित
मोहम्मदपुर थाने के एसएचओ और एक चौकीदार को अवैध कारोबार पर रोकने में लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया है. जिला पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने कहा, “हमने मोहम्मदपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ और एक चौकीदार को उनके लापरवाही भरे रवैये के लिए निलंबित कर दिया है, जिसके कारण उनके अधिकार क्षेत्र के तीन गांवों में बड़ी संख्या में मौतें हुईं. वे क्षेत्र में शराब के व्यापार की जांच करने में विफल रहे हैं.”

बिहार के शराबबंदी कानून पर प्रतिबंध
1 अप्रैल 2016 बिहार में 2016 में शराबबंदी लागू हुई थी. साल 2015 में नीतिश कुमार ने बिहार में शराबबंदी की बात की थी. शराबबंदी फेल होने का पहला कारण है कि शराबबंदी से शराब के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलता है. दूसरा- शराब के तस्करों के लिए शराबबंदी फायदेमंद होता है और उनसे घूस लेने वाले अधिकारियों को भी यह फायदा पहुंचाता है. 

कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण, वितरण, परिवहन, संग्रह, भंडार, ख़रीद, बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. शराबबंदी से बिहार सरकार को हर एक साल 4000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुक़सान हो रहा है.

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