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INS Vela: भारत के दुश्मन सावधान! समुद्र की ‘साइलेंट किलर’ आज भारतीय नौसेना में होगी शामिल

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Indian Navy New Submarine INS Vela: भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है. इसी कड़ी में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के झांसी में कई इक्विपमेंट्स को सेनाओं को आधिकारिक रूप से सौंपा था. इसके अलावा भारतीय नौसेना में आईएनएस विशाखापट्टनम को शामिल किए जाने से समुद्र में भारत की ताकत बढ़ी. तो वहीं, अब महासागर की गहराई में भारत की ताकत को चार गुना बढ़ाने की तैयारी है.

आज नौसेना को मिलेगी INS वेला
दरअसल, कलावरी क्लास सबमरीन यानी पनडुब्बी INS वेला आज भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली है. आईएनएस वेला, कलावरी क्लास की चौथी सबमरीन है, जो 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची और 1565 टन वजनी है. INS वेला में मशीनरी सेट करने के लिए लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप और करीब 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है.

यह सबमरीन स्पेशल स्टील से बनी है, इसमें हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अंदर ज्यादा गहराई तक जाकर ऑपरेट करने में सक्षम है. इसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार सिस्टम को धोखा देने योग्य बनाती है यानी रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा. यह दुश्मन को भनक लगाए बिना ही अपना काम पूरा कर सकती है. इसके अलावा इसे किसी भी मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है.

INS वेला में हैं 360 बैटरी सेल्स
आईएनएस वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन लगाए गए हैं. इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं. प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम के करीब है. इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है. यह सफर 45-50 दिनों का हो सकता है. ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है.

आईएनएस वेला की टॉप स्पीड की बात करे तो यह 22 नोट्स है. इसमें पीछे की ओर फ्रांस से ली गई तकनीकी वाली मैग्नेटिस्ड प्रोपल्शन मोटर है. इसकी आवाज सबमरीन से बाहर नहीं जाती है. इसीलिए, आईएनएस वेला सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है. इसके भीतर एडवांस वेपन हैं जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकते हैं. 

दुश्मन को खत्म करने के लिए हथियार
आईएनएस वेला के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात करें तो इसपर 6 टोरपीडो ट्यूब्स बनाई गई हैं, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है. इसमें एक वक्त में अधिकतम 18 तोरपीडोस आ सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39 को भी ले जाया जा सकता है. इसके जरिए माइंस भी बिछाई जा सकती हैं. 

सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े हैं. यह सभी अन्य नौसेना के युद्धपोत से संचार कर सकती है. बता दें कि इससे पहले स्कॉर्पियन क्लास की छह पनडुब्बियों में से भारत को तीन पनडुब्बी आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं.

स्वदेशी पनडुब्बी है INS वेला
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले डीसीएनएस) के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था. इस सौदे की कीमत 3.5 बिलियन यूएस डॉलर थी. इसी सौदे का पालन करते हुए INS वेला को भारत में तैयार किया गया है, यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत तैयार की गई है.

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