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Farm Laws: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले के बाद अभी भी दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसान संगठन के नेताओं ने ऐलान किया है कि फिलहाल अभी उनका आंदोलन जारी रहेगा और अब उनकी मांग एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाने की है. संयुक्त मोर्चा से जुड़े इन किसान संगठनों की ओर से किए गए एलान पर राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि राष्ट्रीय किसान मोर्चा तो यह मांग पिछले तीन दशकों से कर रहा है और उनकी इसी मांग के चलते उनको संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन से अलग कर दिया था, क्योंकि तब किसान मोर्चा का नारा था ‘जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं’. सरदार वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर भी पलटवार करते हुए कहा कि राकेश टिकैत ने आंदोलन को बिगाड़ दिया है.
राष्ट्रीय किसान मोर्चा के बैनर के तहत जुटे अलग-अलग किसान संगठनों ने ऐलान किया कि राष्ट्रीय किसान मोर्चा भी लगातार तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहा था. जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया इसके लिए उनका धन्यवाद. राष्ट्रीय किसान मोर्चा ने कभी भी पहले कानून वापसी फिर घर वापसी का नारा नहीं दिया था, क्योंकि राष्ट्रीय किसान मोर्चा ने हमेशा एमएसपी की ही बात की थी. एमएसपी का मुद्दा आज का नहीं, बल्कि पिछले तीन दशकों से गरमाया हुआ है और पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली आने से पहले भी यही एक अहम मुद्दा था.
कमेटी में अलग-अलग प्रदेशों के लोग हों शामिल
राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि पिछले 20 सालों से कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार गन्ना एमएसपी पर खरीद कर रही है, लेकिन हम चाहते हैं कि सारी फसलें निजी कंपनियां भी एमएसपी पर ही खरीदें. एमएसपी की लड़ाई आज की नहीं है. राष्ट्रीय किसान मोर्चा ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर गारंटी एमएसपी की बात कही थी, तो ऐसे में अब कमेटी की बात कहां से आ रही है, लेकिन अगर फिर भी सरकार कमेटी बनाती है, तो पूरे देश के 20-22 प्रदेशों की अलग अलग कमेटी के लोगों को उसमे शामिल किया जाए न कि सिर्फ 1-2 प्रदेशों को लोगों को.
वीएम सिंह ने आरोप लगाया कि उन्होंने शुरुआत से ही किसान आंदोलन में एमएसपी की बात की थी, लेकिन उनको किसान आंदोलन से इसी वजह से निकाल दिया गया, क्योंकि वह एमएसपी का जिक्र कर रहे थे और आंदोलन में बैठे नेता कानून वापसी, घर वापसी का नारा दे रहे थे. वीएम सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री एमएसपी को लेकर कोई भरोसा दे दें, तो सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, किसी कमेटी की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कोई कमेटी बनानी भी है, तो उसमें सिर्फ एक राज्य या दो राज्यों से जुड़े किसान नेताओं को नहीं, बल्कि देशभर के राज्यों से जुड़े हुए किसान नेताओं को जगह देनी चाहिए.
राकेश टिकैत पर किया हमला
इस बीच सरदार वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर जमकर हमला बोला. वीएम सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं और उनके किसान संगठन है, लेकिन सिर्फ एक किसान संगठन का नेता खुद को सबका प्रतिनिधि बता रहा है. राकेश टिकैत के साथ कोई नहीं, वह सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. मौजूदा किसान संयुक्त मोर्चा में 40 में से 32 से 35 तो पंजाब के हैं, वहीं राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश से अकेले, इसी से इस किसान मोर्चा के बारे में पता चलता है. राकेश टिकैत पर हमला करते हुए वीएम सिंह यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि मैंने शुरुआत में ही मना कर दिया था कि राकेश टिकैत को इस आंदोलन से अलग रखा जाए, वरना वे आंदोलन को खराब कर देगा और आज वही दिख रहा.