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विपक्ष के अड़ियल रुख के चलते संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने के आसार

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Winter Session of Parliament: संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है जो अगले 23 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान कामकाज के कुल 19 दिन होंगे. इस बीच कुल 30 बिल संसद में पेश किए जाएंगे, जिनमें एक कृषि कानून वापसी संबंधी बिल भी है, जिस पर पूरे देश की नजर लगी हुई है. लेकिन, शीतकालीन सत्र भी विपक्ष के अड़ियल रुख के चलते हंगामेदार रहने के आसार है.

आइये बताते हैं किन मुद्दें पर विपक्ष और सरकार के बीच तकरार है-

  • विपक्ष चाहता है कि एमएसपी को कानूनी अधिकार मिले. जबकि, सरकार की तरफ से कमेटी बनाने का एलान कर दिया गया है, जिस पर तकरार लगातार बरकरार है.
  • बिजली बिल का ड्राफ्ट वापस हो ये विपक्ष और किसानों की मांग है. जबकि सरकार की तरफ से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई है. इस मुद्दे को भी विपक्ष की तरफ से उठाया जा सकता है.
  • प्रदूषण पर किसानों को सजा न मिले, ये मांग की गई थी. इस पर सरकार ने सहमति दे दी है. हालांकि, इसके बावजूद इस मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश हो सकती है.
  • किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमा वापस लेने की मांग की गई है. जबकि, केन्द्र सरकार पहले ही यह साफ कर चुकी है कि यह मसला राज्य सरकारों के पास है. राज्य सरकार चाहे तो वे मामले वापस ले सकते हैं.
  • लखीमपुर कांड को लेकर केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की जा रही है. इस पर भी सरकार की तरफ से कुछ भी नहीं कहा गया है.
  • आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उन्हें मुआवजा की मांग की गई है. सरकार की तरफ से इस पर भी कोई भरोसा नहीं दिया गया है.

ऐसे में इन मुद्दों पर सरकार और केन्द्र के बीच तकरार बने रहने की संभावना है.

आज ही लोकसभा और राज्यसभा में पेश हो सकता है कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के बाद तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को सोमवार को ही राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. कृषि कानून निरसन विधेयक-2021 को लोकसभा में विचार किये जाने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद इसे संसद के उच्च सदन में लाया जाएगा.

विधेयक उन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए है, जिनके खिलाफ किसान एक साल से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विधेयक के उद्देश्य और कारणों के कथन में कहा गया है कि ‘‘ऐसे में जब हम आजादी का 75वां वर्ष – ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, तो समय की जरूरत है कि सभी को समावेशी प्रगति और विकास के रास्ते पर साथ लिया जाए.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘उसके मद्देनजर, उपरोक्त कृषि कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव है. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उप-धारा (आईए) को हटाने का भी प्रस्ताव है, जिसे आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 का 22), के तहत डाला गया था.’’

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